संसद के मानसून सत्र में पेश किया जा सकता है बिजली संशोधन बिल

Edited By Yaspal,Updated: 16 Jun, 2022 06:30 PM

electricity amendment bill can be introduced in the monsoon session

बिजली (संशोधन) विधेयक, 2021 को जुलाई में शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में पेश किये जाने की संभावना है। इस विधेयक में अन्य बातों के अलावा ग्राहकों को दूरसंचार सेवाओं प्रदाताओं की तरह विभिन्न बिजली सेवा प्रदाताओं में से चुनने का विकल्प उपलब्ध कराने...

नई दिल्लीः बिजली (संशोधन) विधेयक, 2021 को जुलाई में शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में पेश किये जाने की संभावना है। इस विधेयक में अन्य बातों के अलावा ग्राहकों को दूरसंचार सेवाओं प्रदाताओं की तरह विभिन्न बिजली सेवा प्रदाताओं में से चुनने का विकल्प उपलब्ध कराने का प्रावधान है।

बिजली मंत्री आर के सिंह ने कहा कि हर कोई (सभी मंत्रालय और संबंधित पक्ष) बिजली कानून में संशोधन के पक्ष में है। उन्होंने कहा, ‘‘हम (बिजली मंत्रालय) संसद के मानसून सत्र में इसे रख सकते हैं।'' मानसून सत्र जुलाई के दूसरे पखवाड़े में शुरू होने की संभावना है। विधेयक में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिये वितरण कारोबार को लाइसेंस से मुक्त करने, प्रत्येक आयोग में विधि क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति को बतौर सदस्य शामिल करने, बिजली अपीलीय न्यायाधिकरण को मजबूत करने तथा ग्राहकों के अधिकार और कर्तव्यों को निर्धारित करने के प्रावधान शामिल हैं।

सिंह ने यह भी कहा कि बिजली के स्वच्छ स्रोत को बढ़ावा देने के लिये पवन ऊर्जा के मामले में अलग से नवीकरणीय खरीद बाध्यता (आरपीओ) होगी। आरपीओ के तहत वितरण कंपनियां और सीधे बिजली उत्पादकों से विद्युत लेने वाले जैसे थोक खरीदारों को नवीकरणीय ऊर्जा का कुछ हिस्सा लेने की जरूरत होगी। वे आरपीओ नियमों को पूरा करने के लिये हरित ऊर्जा सीधे नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादकों से भी ले सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश में 30,000 मेगावॉट क्षमता की पनबिजली परियोजनाएं लगाने की योजना को अंतिम रूप दे दिया है। जम्मू-कश्मीर में पांच जलविद्युत परियोजनाएं शुरू हुई हैं।

मंत्री ने देश में हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिये और प्रोत्साहन देने का संकेत दिया। उन्होंने कहा कि अगर हरित हाइड्रोजन, इलेक्ट्रिक वाहन और सभी उद्योगों को हरित ऊर्जा आधारित बनाने का दृष्टिकोण हकीकत बनता है, तो भारत 2030 तक 5,00,000 मेगावॉट लक्ष्य के मुकाबले 7,00,000 मेगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल कर सकता है। सिंह ने कहा कि अब बिजली मांग का आधार 2,05,000 मेगावॉट है और आने वाले दिनों में इसमें और वृद्धि होगी। उन्होंने उद्योग जगत से देश में ऊर्जा बदलाव में शामिल होने के लिये तैयार रहने को कहा।

केंद्रीय बिजली सचिव आलोक कुमार ने ऊर्जा बदलाव के जरिये आयात पर निर्भरता में कमी लाने की बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार ने बड़े स्तर पर ग्रिड विस्तार परियोजना जारी रखने की योजना बनायी है। कोयला अगले 20 साल या उसके बाद भी बिजली उत्पादन का प्रमुख स्रोत बना रहेगा। सचिव ने यह भी बताया कि बिजली मंत्रालय पीपीए (बिजली खरीद समझौते) में तापीय बिजली के साथ नवीकरणीय ऊर्जा को शामिल करने पर काम कर रहा है।

 

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