Analysis: एग्जिट पोल्स ही रहे नतीजे तो 2019 चुनाव में पैदा हो सकती है BJP के लिए परेशानी

Edited By Anil dev,Updated: 08 Dec, 2018 02:41 PM

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शुक्रवार को आए एग्जिट पोल के नतीजे यदि असल में परिणाम में बदले तो भाजपा के लिए 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए बड़ी परेशानी पैदा हो सकती है। इन तीन राज्यों में लोकसभा की 65 सीटें हैं और इन 65 सीटों में से पिछले चुनाव में भाजपा ने 62 सीटें जीती थीं

जालन्धर(नरेश कुमार): शुक्रवार को आए एग्जिट पोल के नतीजे यदि असल में परिणाम में बदले तो भाजपा के लिए 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए बड़ी परेशानी पैदा हो सकती है। इन तीन राज्यों में लोकसभा की 65 सीटें हैं और इन 65 सीटों में से पिछले चुनाव में भाजपा ने 62 सीटें जीती थीं और महज 3 सीटें कांग्रेस के पक्ष में आई थीं लेकिन एग्जिट पोल के नतीजों से इन तीनों राज्यों में कांग्रेस जबरदस्त वापसी करती नजर आ रही है और पार्टी का वोट शेयर इन तीनों राज्यों में बढ़ा है। 

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गठबंधन में कांग्रेस की हैसियत बढ़ेगी
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे यदि एग्जिट पोल के मुताबिक आए तो इसका कांग्रेस को लोकसभा चुनाव के दौरान न सिर्फ फायदा  होगा बल्कि  वह लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन भी अपनी शर्तों पर करवा सकेगी। फिलहाल कोई भी बड़ा क्षेत्रीय नेता कांग्रेस के नेतृत्व को मन से स्वीकार नहीं कर रहा है और सीटों के आबंटन के मामले में भी कांग्रेस को छोटे-छोटे दलों की बात माननी पड़ रही है लेकिन यदि नतीजे कांग्रेस की उम्मीद के अनुरूप आए तो कांग्रेस केंद्र में भाजपा के खिलाफ बनने वाले राष्ट्रीय गठबंधन में निर्णायक स्थिति में आ जाएगी और फिर सीटों का आबंटन भी कांग्रेस की मर्जी के हिसाब से हो सकता है। इन नतीजों से सबसे बड़ा दबाव बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी पर पड़ेगा। ये दोनों पार्टियां कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में सम्मानजनक सीटें नहीं दे रहीं लेकिन नतीजों के बाद इन दोनों बड़ी पार्टियों का रुख भी बदल सकता है। 

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हार के डर से कम हुई मोदी की रैलियां
पांच राज्यों के विधानसभ चुनावों में भाजपा को अपनी स्थिति का पहले से अंदाजा हो गया था लिहाजा भाजपा ने चुनाव से पूर्व ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों की संख्या इन चुनावों में सीमित कर दी थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन चुनावों में बहुत महज 32 रैलियां कीं ताकि खराब नतीजे आने की स्थिति में हार की ठीकरा प्रधानमंत्री पर न फूटे। पिछले साल अपने गृह नगर गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव में महज 182 सीटों पर प्रधानमंत्री ने 34 रैलियां की थीं और रोड शो भी किए थे जबकि इस बार 5 राज्यों की 669 विधानसभा सीटों पर प्रधानमंत्री ने कोई रोड शो नहीं किया। 

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दूसरी तरफ राहुल ने कांग्रेस की तरफ से ताबड़तोड़ प्रचार किया और रैलियों के साथ-साथ रोड शो भी किए। राहुल गांधी के लिए अपने नेतृत्व को स्थापित करने का यह बड़ा मौका था। अकेले राजस्थान में राहुल गांधी ने 3 दिन में 11 रैलियां कीं और रैलियों के दौरान प्रधानमंत्री के खिलाफ जमकर हमला बोला जबकि राजस्थान में भाजपा की साख बचाने के लिए प्रधानमंत्री ने 6 दिन में 12 रैलियां कीं। भाजपा की तरफ से प्रचार की कमान तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने संभाली और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने भी जमकर रैलियां कीं।

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