Farmers protest: दिन में आंदोलन और रात को पढ़ाई करते हैं किसानों के बच्चे, साथ में लाए किताबें

Edited By Seema Sharma,Updated: 02 Dec, 2020 02:13 PM

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कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर डटे किसानों को सात दिन हो चले हैं। दिल्ली सीमा पर धरने पर बैठे पंजाब के किसानों को अन्य राज्यों से भी समर्थन  मिलना शुरू हो गया है। किसानों का आंदोलन हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भी फैल चुका है। वहीं...

नेशनल डेस्क: कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर डटे किसानों को सात दिन हो चले हैं। दिल्ली सीमा पर धरने पर बैठे पंजाब के किसानों को अन्य राज्यों से भी समर्थन मिलना शुरू हो गया है। किसानों का आंदोलन हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भी फैल चुका है। वहीं पंजाब के ज्यादातर गांवों के किसान बॉर्डर पर धरने पर बैठे हुए हैं। किसान आंदोलन में 80 साल के बुजुर्ग से लेकर 8 साल के बच्चे तक शामिल हैं। आंदोलन में शामिल किसानों के बच्चे दिन में धरने पर बैठते हैं और रात को पढ़ाई करते हैं।

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क्या कहना है धरने पर बैठे बच्चों का
पंजाब के होशियारपुर जिले के मंगत गांव की रहने वाली 11 साल की गुरसिमरत कौर 6वीं क्लास में पढ़ती है। गुरसिमरत भी अपने घरवालों के साथ किसान आंदोलन में शामिल होने आई है। वह अपने साथ अपना स्कूल बैग भी लाई है। गुरसिमरत ने बताया कि इसी महीने के आखिर में उसके एग्जाम होने वाले हैं। जब घर वाले दिल्ली कूच की तैयारी कर रही थी वो भी उनके साथ शामिल हो गई और अपने साथ किताबें उठा लीं ताकि उसकी पढ़ाई पर कोई असर न पड़े। गुरसिमरत ने कहा कि किसान की बेटी हूं इसलिए इस आंदोलन में शामिल होने आई हूं। उसने बताया कि दिन में वह आंदोलन में शामिल होती है और दूसरे कामों में हाथ बंटाती है। बीतच में जब मौका मिलता है तो पढ़ने बैठ जाती है। वहीं रात को भी वह पढ़ाई करती है। गुरसिमरत ने कहा कि भले ही वह किसान आंदोलन में शामिल होने आई है पर इसका यह मतलब नहीं कि मैं अपनी पढ़ाई भूल जाऊं या उसको छोड़ दूं। गुरसिमरत ने कहा कि वह इस साल एग्जाम में A+ ग्रेड लाना चाहती है।

 

कृषि कानून पर राय
गुरसिमरत ने कहा कि वह अपनी मां के साथ खेतों में काम भी करने जाती है और असल में उसकी पहचान एक किसान की है। उसने कहा कि आंदोलन में शामिल होने से पहले उसने पंजाबी में तीन नए कृषि कानून के बारे में पढ़ा। इसे पढ़कर समझ आया कि सरकार इस नए कृषि कानून के जरिए उनकी खेती पर कंट्रोल कर लेगी और यह किसानों के हित में नहीं है। गुरसिमरत ने कहा कि जहां हम पले-बढ़े हुए हैं उसी जमीन को बचाने के लिए आंदोलन में शामिल हुए हैं। 

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रात को पढ़ता है हरमन
14 साल का हरमन सिंह भी पिछले 7 दिनों से सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल है। हरमन ने कहा कि वह अपनी पढ़ाई भी जारी रख रहा है और अपनों के हक के लिए लड़ भी रहा है। हरमन ने बताया कि वह सुबह 7 बजे उठ जाता है और किसान आंदोलन में शामिल होता है। इसके बाद रात होते ही वह स्मार्टफोन पर अपनी पढ़ाई जारी रखता है। हरमन 9वीं क्लास में पढ़ता है। हरमन ने बताया कि सब बच्चे ग्रुप में बैठकर पढ़ाई करते हैं और एक-दूसरे की पढ़ाई में मदद भी करते हैं। हरमन ने कहा कि किसान आंदोलन सिर्फ बड़ों का ही नहीं, हम बच्चों का भी है। हमारा परिवार कृषि बिल से अगर प्रभावित हो रहा है तो हम बच्चे कैसे इससे अछूते रह सकते हैं। हरमन पढ़ने के लिए अपने साथ पंजाबी और साइंस की किताबें लाया है। हरमन अपने पंजाब में रहते रिश्तेदारों के साथ सिंघु बॉर्डर पर आया है, उसके माता-पिता हिसार में रहते हैं। 7वीं क्लास में पढ़ने वली महकप्रीत ने कहा कि आंदोलन में शामिल होने का फैसला उसका खुद का था। महक ने कहा कि कोरोना की वजह से स्कूल बंद है। पढ़ाई ऑनलाइन चल रहा है, इसलिए आंदलोन के बाद रात को हम Whatsapp पर टीचर्स के द्वारा भेजे गए सलेब्स को पढ़ते हैं।

 

माता-पिता बोले- बच्चे जानते हैं क्या हो रहा
धरने पर बच्चों को साथ लाने पर माता-पिता ने कहा कि हम इनको नहीं लाए हैं, सब अपने मर्जी से आए हैं। परिजनों ने कहा कि बच्चे भी जानते हैं कि कृषि कानून कया है और हमारे साथ गलत हो रहा है। परिजनों ने कहा कि बच्चों ने कृषि कानून के बारे में पहले समझा कि यह क्या है और इसके बाद उन्होंने इस आंदोलन में शामिल होने का मन बनाया। परिजनों ने कहा कि यह बच्चे किसानों के हैं इसलिए इनको एक किसान का दुख समझ आता है।

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