LIVE: कृषि कानून पर आंदोलन 11वें दिन भी जारी, एक इंच भी पीछे हटने को तैयार नहीं किसान

Edited By Seema Sharma,Updated: 06 Dec, 2020 11:17 AM

farmers protest on agricultural law continue

केंद्र सरकार के नए कृषि कानून के खिलाफ किसान ठंड के मौसम में भी पिछले 11 दिनों से सड़कों पर डटे हुए हैं। रविवार भी किसानों का आंदोलन जारी रहा। डिल्ली बॉर्डरों पर जमा किसान एक इंच भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। वहीं इससे पहले सरकार और किसानों के बीच...

नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार के नए कृषि कानून के खिलाफ किसान ठंड के मौसम में भी पिछले 11 दिनों से सड़कों पर डटे हुए हैं। रविवार भी किसानों का आंदोलन जारी रहा। डिल्ली बॉर्डरों पर जमा किसान एक इंच भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। वहीं इससे पहले सरकार और किसानों के बीच शनिवार को पांचवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही, जहां किसान संगठनों के नेता नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े रहे और इस मुद्दे पर सरकार से ‘हां' या ‘नहीं' में जवाब की मांग करते हुए ‘मौन व्रत' पर चले गए। इसके बाद केंद्र ने गतिरोध खत्म करने के लिए 9 दिसंबर को एक और बैठक बुलाई है। किसान आंदोलन पर हर अपडेट जानने के लिए जुड़े रहें punjabkesari.in के साथ....

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किसानों को मनाने में नाकाम सरकार
तीन केंद्रीय मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चार घंटे से अधिक देर तक चली बातचीत के बाद किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने इस मुद्दे के समाधान के लिए अंतिम प्रस्ताव पेश करने के वास्ते आंतरिक चर्चा के लिए और समय मांगा है। हालांकि, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार बैठक में मौजूद 40 कृषक नेताओं से उनकी प्रमुख चिंताओं पर ठोस सुझाव चाहती थी। उन्होंने उम्मीद जताई कि उनके सहयोग से समाधान निकाला जाएगा।  बैठक में कृषि मंत्री तोमर ने किसान नेताओं से बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को प्रदर्शन स्थलों से घर वापस भेजने की अपील की। तोमर ने सरकार की ओर से वार्ता की अगुवाई की। इसमें रेल, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने भी भाग लिया।

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बैठक के बाद कृषि मंत्री ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने किसानों को आश्वासन दिया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद जारी रहेगी और मंडियों को मजबूत किया जाएगा। तोमर ने कहा कि हम कुछ प्रमुख मुद्दों पर किसान नेताओं से ठोस सुझाव चाहते थे, लेकिन आज की बैठक में ऐसा नहीं हुआ। हम नौ दिसंबर को एक बार फिर मिलेंगे। हमने उनसे कहा है कि सरकार उनकी सभी चिंताओं पर ध्यान देगी और हमारा प्रयास समाधान खोजने का रहेगा।'' 

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8 दिसंबर को ‘भारत बंद' 
किसानों ने आठ दिसंबर को ‘भारत बंद' की घोषणा की है और चेतावनी दी है कि यदि सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती तो आंदोलन तेज किया जाएगा तथा राष्ट्रीय राजधानी आने वाले और मार्गों को अवरुद्ध कर दिया जाएगा। ट्रेड यूनियनों और अन्य अनेक संगठनों ने इसमें उन्हें समर्थन जताया है। किसानों ने अपनी मांगें नहीं माने जाने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है। सितंबर में लागू तीनों कृषि कानूनों को सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़ा सुधार करार दिया है।

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वहीं प्रदर्शनकारी किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था को समाप्त कर देंगे। हालांकि, प्रदर्शनकारी किसानों ने चिंता जताई है कि नए कानून एमएसपी और मंडियों को खत्म करने का रास्ता साफ करेंगे। विज्ञान भवन में हुई बैठक में किसान नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि सरकार सितंबर में लागू तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के बारे में नहीं सोच रही तो वे बैठक छोड़कर चले जाएंगे। ब्रेक में किसान नेताओं ने अपने साथ लाया भोजन और जलपान किया, जैसा उन्होंने गुरुवार को किया था। 

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किसानों का मौन व्रत
सरकार के साथ पांचवें दौर की बातचीत में किसानों का समूह करीब एक घंटे तक ‘मौन व्रत' पर रहा और उसने तीनों नये कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मुख्य मांग पर ‘हां' या ‘नहीं' में जवाब मांगा। बैठक में मौजूद कुछ किसान नेता अपने होठों पर अंगुली रखे हुए और ‘हां' या ‘नहीं' लिखा कागज हाथ में लिए हुए दिखे। सूत्रों के मुताबिक मंत्रियों द्वारा रखे गए कुछ प्रस्तावों पर बैठक में भाग लेने वाले किसानों के बीच मतभेद भी सामने आया।

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