ये हैं भाजपा के वो फायरब्रांड चेहरे जो बाबरी विध्वंस के नायक बने

Edited By Seema Sharma,Updated: 06 Dec, 2018 12:32 PM

firebrand faces of bjp which became the hero of babri demolition

बाबरी विध्वंस को आज 26 साल पूरे हो गए हैं। लोगों के जेहन में आज भी वो काली रात की यादें ताजा हैं। उस दिन को याद कर लोग अभी भी सिहर उठते हैं। 6 दिसंबर, 1992 को राम मंदिर के निर्माण के लिए देशभर से कारसेवक अयोध्या

नेशनल डेस्कः बाबरी विध्वंस को आज 26 साल पूरे हो गए हैं। लोगों के जेहन में आज भी वो काली रात की यादें ताजा हैं। उस दिन को याद कर लोग अभी भी सिहर उठते हैं। 6 दिसंबर, 1992 को राम मंदिर के निर्माण के लिए देशभर से कारसेवक अयोध्या पहुंचे थे और बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया था। इस विवाद ने राजनीति की दशा को पूरी तरह से पलट कर रख दिया। बाबरी विध्वंस का ही नतीजा था कि 1989 के लोकसभा चुनाव में भाजपा 2 सीटों से बढ़कर 85 पर पहुंच गई थी। इस आंदोलन को इन फायरब्रांड भाजपा नेताओं ने धार दी थी जो उस समय हिंदुओं के लिए नायक बन गए थे।
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ये थे वो नेता
इस आंदोलन में प्रमुख चेहरा जो आगे रहा वो भाजपा के भीष्म पितामह कहे जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी का था। इनके अलावा कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार और राम विलास वेदांती के नाम आते हैं। वीएचपी के अशोक सिंघल, साध्वी रितंभरा, आचार्य धर्मेंद्र, बीएल शर्मा गिरिराज किशोर और विष्णु हरि डालमिया, मोरेश्वर सावे, चंपत राय बंसल, सतीश प्रधान, महंत अवैद्यनाथ, धर्मदास, महंत नृत्य गोपाल दास, महामंडलेश्वर जगदीश मुनि, रामविलास वेदांती, वैकुंठ लाल शर्मा प्रेम, परमहंस रामचंद्र दास और सतीश चंद्र नागर भी इस आंदोलन में शामिल थे। अशोक सिंघल और गिरिराज किशोर अब इस दुनिया में नहीं हैं।
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लालकृष्ण आडवाणी
आडवाणी ने 1990 में सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथ यात्रा निकाली और देश भर से कई शहरों और गांवों से लोग कारसेवा करने के लिए आयोध्या पहुंच गए। देश में 'राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे' के नारे गूंज उठे। अयोध्या आंदोलन के लिए आडवाणी भाजपा के सबसे बड़े हिंदुत्व का चेहरा बन गए। जब बाबरी मस्जिद तोड़ी गई उस समय आडवणी अयोध्या में मौजूद थे। उन पर बाबरी विध्वंस के लिए सुप्रीम कोर्ट में मामला भी चल रहा है।
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उमा भारती
उमा भारती को पहचान अयोध्या आंदोलन से मिली, अगर यह कहा जाए तो गलत नहीं होगा। बाबरी विध्वंस के दौरान भारती भी अयोध्या में मौजूद थी और कोर्ट में उनके खिलाफ भी केस चल रहा है। इस आंदोलन में वे भी नायक की तरह उभर कर सामने आईं। वे आज मोदी सरकार में मंत्री। आज उनकी भाजपा नेताओं के बीच काफी तूती बोलती है लेकिन हाल ही के दिनों में उन्होंने ऐलान किया है कि वे 2019 का लोकसबा चुनाव नहीं लड़ेंगी।
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मुरली मनोहर जोशी
मुरली मनोहर जोशी भी राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरे थे और बाबरी विवाद के समय वे भी अयोध्या में थे। वे भी इस आंदोलन में आरोपी हैं। जोशी मौजूदा समय में महज लोकसभा सांसद हैं और भाजपा के मार्गदर्शक मंडल में शामिल हैं।
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कल्याण सिंह
आडवाणी के बाद अयोध्या आंदोलन में अगर किसी नाम लिया जाता है तो वो है कल्याण सिंह का। बाबरी विध्वंस के समय कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। राम मंदिर के लिए उन्होंने सरकार को कुर्बान कर दिया था। जब कारसेवक मस्जिद तोड़ रहे थे तब यूपी सरकार मूकदर्शक बनी रही। इस आंदोलन के दूसरे ही दिन केंद्र सरकार ने कल्याण सिंह को बर्खास्त कर दिया। बर्खास्त होने के बाद कल्याण सिंह ने कहा था कि यह सरकार राम मंदिर के नाम पर ही बनी थी और उनका मकसद पूरा हुआ। उन्होंने कहा था कि ऐसे में सरकार राम मंदिर के नाम पर कुर्बान। कल्याणा सिंह को एक दिन की सजा भी दी गई थी। मौजूदा समय में कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल हैं।
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विनय कटियार
राम मंदिर पर विनय कटियार के तेवर जैसे 1992 में थे वैसे आज भी हैं। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर कटियार आज भी वहीं रुख रखते हैं। वे भी बाबरी विध्वंस के दौरान अयोध्या में थे। उन पर बाबरी मस्जिद तुड़वाने के लिए उकसाने का आरोप है। मौजूदा समय में उकी भाजपा में कोई भूमिका नहीं है। वे महस पार्टी के सदस्य हैं।

उल्लेखनीय है कि मौजूदा मोदी सरकार भी राम मंदिर के वादे के साथ सत्ता में आई थी लेकिन स्थिति जस की तस है। आज भाजपा के कई नेता और संत समाज केंद्र के रवैये से क्षुब्ध है कि मोदी सरकार को पांच साल हो चले हैं लेकिन राम मंदिर पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है।

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