2025 से कंपनियां भारतीयों के लिए बनाएंगी जूते, ‘भा’कोड से तैयार होंगे फुटवेयर

Edited By Radhika,Updated: 24 Apr, 2024 05:19 PM

from 2025 companies will make shoes for indians

भारत में मिलने वाले जूते-चप्पल अमेरिकी या यूरोपीय नाप के होते हैं। यही वजह है कि वे भारतीय पांवों में फिट नहीं आते। दरअसल, भारतीयों के पांव अमेरिकियों और यूरोपीयनों से ज्यादा चौड़े होते हैं।

नेशनल डेस्क: भारत में मिलने वाले जूते-चप्पल अमेरिकी या यूरोपीय नाप के होते हैं। यही वजह है कि वे भारतीय पांवों में फिट नहीं आते। दरअसल, भारतीयों के पांव अमेरिकियों और यूरोपीयनों से ज्यादा चौड़े होते हैं। लेकिन कंपनियां जूते-चप्पल अमेरिकियों या यूरोपीय लोगों के पांव की लंबाई-चौड़ाई के आधार पर ही तैयार करती हैं। लेकिन, अब यह व्यवस्था बदलने वाली है। अब जूते-चप्पलों के भारतीय मानक तैयार हो रहे हैं।

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अब कंपनियां अलग से भारतीयों के लिए फुटवेयर साल 2025 से तैयार करेंगी। इसके लिए 'भा' कोड रखा गया है, जिसका मतलब भारत से है। इसके लिए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड से मान्यता मिलनी बाकी है। भारतीयों के पांवों की आकृति और आकार समझने के लिए काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च और सेंट्रल लेदर रिसर्च इंस्टीट्यूट ने पूरे भारत में सर्वे किया। इसमें यह भी पता चला कि महिलाओं के पांवों का आकार 11 साल की उम्र तक बढ़ता है, जबकि पुरुषों में यह 15-16 साल तक बढ़ता रहता है।

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इस बदलाव की सबसे बड़ी वजह भारत का बड़ा बाजार है। यहां हर भारतीय के पास औसतन 1.5 जूते हैं। ऑनलाइन खरीदे गए 50% फुटवियर सही नाप न होने से लौटा दिए जाते हैं। इससे अब कंपनियों को 10 की बजाय 8 साइज में ही फुटवेयर बनाने होंगे।

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