केरल HC ने सुनाया अहम फैसला-शादी में बेटी को माता-पिता द्वारा दिए गए गिफ्ट दहेज नहीं

Edited By Seema Sharma,Updated: 15 Dec, 2021 08:41 AM

gift given by parents to daughter in marriage is not dowry kerala hc

बेटी की शादी में माता-पिता अपनी बेटी को सुख-सुविधाओं की हर चीज देना चाहते हैं। ऐसे में केरल हाईकोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि शादी के समय दुल्हन को उसकी भलाई के लिए दिए गए उपहारों को दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के...

नेशनल डेस्क: बेटी की शादी में माता-पिता अपनी बेटी को सुख-सुविधाओं की हर चीज देना चाहते हैं। ऐसे में केरल हाईकोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि शादी के समय दुल्हन को उसकी भलाई के लिए दिए गए उपहारों को दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के दायरे में दहेज के रूप में नहीं माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि विवाह के समय दुल्हन को बिना किसी मांग के दिए गए उपहार और जो इस अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों के अनुसार बनाई गई सूची में दर्ज किए गए हैं,वो धारा 3(1) के दायरे में नहीं आएंगे,जो दहेज देने या लेने पर रोक लगाती है।

 

केरल हाईकोर्ट ने यह फैसला एक पति की तरफ से दायर याचिका पर सुनाया। पीड़ित पति ने हाईकोर्ट में बताया कि उसने 2020 में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार दीप्ति से शादी की थी। शादी के कुछ समय बाद दोोनं के रिश्तों में खट्टास आ गई और दीप्ति ने अपने पति पर दहेज के लिए उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज करवाया। मामला केरल हाईकोर्ट पहुंचा जिस पर कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी दीप्ति के परिजनों ने अपनी मर्जी से बेटी की शादी में गिफ्ट के रूप में जो दिया वो दहेज नहीं है। याचिकाकर्ता पति का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील केपी प्रदीप, हरीश एम.आर, रश्मी नायर टी, टी.टी बीजू, टी. थसमी और एमजे अनूपा ने तर्क दिया कि दीप्ति के परिवार ने उसको जो गहने दिए थे सभी इस दंपत्ति के नाम पर एक बैंक लॉकर में रख दिए थे और इस लॉकर की चाबी दीप्ति के पास ही थी।

 

याचिकाकर्ता की तरफ से कहा कि उसने दीप्ति के परिवार से कभी इन गहनों की मांग नहीं की। इन गहनों की देखरेख दीप्ति ही कर रही है। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि इसका मतलब यह है कि उसकी भलाई के लिए उसे उपहार में दिए गए गहने प्रतिवादियों के नियंत्रण में एक बैंक के लॉकर में रखे गए थे। इसलिए यह माना गया कि शादी के समय दुल्हन को बिना किसी मांग के दिए गए उपहार को दहेज के रूप में नहीं माना जाएगा। साथ ही कोर्ट ने कहा कि दहेज निषेध अधिकारी को नियम 6 (xv) के तहत निर्देश देने का और पीड़ित के खिलाफ कार्ऱवाई का कोई अधिकार नहीं होगा।

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