भारत बंद आज: SC/ST एक्ट पर झुकी सरकार, दाखिल करेगी पुनर्विचार याचिका

Edited By shukdev,Updated: 02 Apr, 2018 09:59 AM

government will lean on sc st act file reconsideration petition

SC/ST एक्ट पर विरोध पर सरकार को आखिरकार झुकना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को लेकर अब सरकार आज पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी। सरकार एससी - एसटी के कथित उत्पीडऩ को लेकर तुरंत होने वाली गिरफ्तारी और मामले दर्ज किए जाने को प्रतिबंधित करने के सुप्रीम...

नेशनल डेस्क:  SC/ST एक्ट के विरोध पर सरकार को आखिरकार झुकना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को लेकर अब सरकार आज पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी। सरकार SC/ST के कथित उत्पीडऩ को लेकर तुरंत होने वाली गिरफ्तारी और मामले दर्ज किए जाने को प्रतिबंधित करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चुनौती देगी।

दरअसल, इस कानून का लक्ष्य हाशिए पर मौजूद तबके की हिफाजत करना है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा उच्चतम न्यायालय में आज दायर की जाने वाली पुर्निवचार याचिका में यह कहे जाने की संभावना है कि शीर्ष न्यायालय का आदेश अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 के प्रावधानों को कमजोर करेगा। सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय यह भी कह सकता है कि हालिया आदेश से कानून का डर कम होगा और इस कानून का उल्लंघन बढ़ सकता है।

भेदभाव और अत्याचार के खिलाफ एससी एसटी की हिफाजत करता है यह कानून
गौरतलब है कि शीर्ष न्यायालय ने इस कानून के तहत तुरंत होने वाली गिरफ्तारी और आपराधिक मामले दर्ज किए जाने को हाल ही में प्रतिबंधित कर दिया था।  दरअसल, यह कानून भेदभाव और अत्याचार के खिलाफ हाशिये पर मौजूद समुदायों की हिफाजत करता है। लोजपा प्रमुख राम विलास पासवान और केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत के नेतृत्व में राजग के एसएसी और एसटी सांसदों ने इस कानून के प्रावधानों को कमजोर किए जाने के शीर्ष न्यायालय के फैसले पर चर्चा के लिए पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी।

गहलोत ने उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ पुर्निवचार याचिका के लिए हाल ही में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को एक पत्र लिखा था। उन्होंने इस बात का जिक्र किया था कि यह आदेश इस कानून को निष्प्रभावी बना देगा और दलितों एवं आदिवासियों को न्याय मिलने को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगा। इस बीच, गहलोत ने शीर्ष न्यायालय के फैसले का विरोध कर रहे विभिन्न संगठनों और लोगों से शुक्रवार को अपना प्रदर्शन वापस लेने की अपील की। वहीं राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने फैसले पर पुर्निवचार की मांग करते हुए कहा कि मूल अधिनियम को बहाल किया जाना चाहिए।

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