गुहा ने अहमदाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ाने से किया इंकार, ABVP ने बताया था देशद्रोही

Edited By vasudha,Updated: 03 Nov, 2018 12:02 PM

guha denies teaching at ahmedabad university

जाने-माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने अहमदाबाद यूनिर्विसटी में पढ़ाने से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि अब स्थिति हद से बाहर निकल गई है इसलिए उन्हें ऐसा कदम उठाना पड़ रहा है...

नेशनल डेस्क: जाने-माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने अहमदाबाद  यूनिवर्सिटी में पढ़ाने से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि अब स्थिति हद से बाहर निकल गई है इसलिए उन्हें ऐसा कदम उठाना पड़ रहा है। उनकी इस घोषणा के बाद उनकी नियुक्ति का विरोध कर रही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने अपनी ‘जीत’ का दावा किया।
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वहीं यूनिर्विसटी प्रशासन ने इन खबरों को खारिज किया कि उसने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र इकाई एबीवीपी के दबाव में काम किया है। अहमदाबाद यूनिर्विसटी ने 16 अक्टूबर को गुहा की नियुक्ति की घोषणा की थी और 19 अक्टूबर को एबीवीपी ने यूनिर्विसटी के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर कहा था कि वे गुहा की नियुक्ति पर फिर से विचार करें, क्योंकि उनका लेखन भारतीय संस्कृति एवं परंपराओं के खिलाफ है। उन्होंने कहा था कि हमें विश्वविद्यालय में बुद्धिजीवियों की जरुरत है, देशद्रोहियों की नहीं। 
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गुहा को श्रेणिक लालभाई चेयर प्रोफेसर और ह्यूमैनिटीज और गांधी विंटर स्कूल के निदेशक के तौर पर अहमदाबाद यूनिर्विसटी में अपनी सेवाएं देनी थीं। उन्होंने वीरवार को ट्वीट किया कि अपने नियंत्रण से बाहर की परिस्थितियों के कारण वह अहमदाबाद यूनिर्विसटी में अध्यापन कार्य नहीं कर पाएंगे। इसके शिक्षक काफी अच्छे हैं और शानदार कुलपति हैं। मेरी कामना है कि गांधी की आत्मा उनके पैतृक स्थल गुजरात में एक बार फिर जीवित हो। शुक्रवार शाम उन्होंने ट्वीट किया कि गांधी  के जीवनी लेखक के तौर पर मैं शब्दों से अपनी बात रखता हूं, हथियारों से नहीं। मैं किसी से वाद-विवाद एवं संवाद के लिए तैयार हूं और किसी से डरता नहीं।

यूनिर्विसटी के रजिस्ट्रार भूपेंद्र शाह ने कहा कि एयू किसी दबाव में काम नहीं करता और इस मामले में भी ऐसा नहीं हुआ है। शाह ने कहा कि एबीवीपी के छात्र आए थे और गुहा की नियुक्ति के खिलाफ हमें ज्ञापन दिया था। एयू किसी दबाव में काम नहीं करता और इस मामले में भी ऐसा नहीं हुआ है। एबीवीपी की अहमदाबाद इकाई के सचिव प्रवीण देसाई ने कहा कि हमने एयू को एक ज्ञापन दिया था और भारतीय संस्कृति एवं परंपरा के खिलाफ उनके लेखन की सूची दी थी। हम कहेंगे कि हमने जो कुछ किया, छात्रहित में है।

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