Edited By shukdev,Updated: 05 Nov, 2019 07:57 PM
दिल्ली कांग्रेस ने नोटबंदी को देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ने वाला कदम बताते हुए कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के तर्क को यदि केंद्र सरकार समय रहते मान लेती तो आज देश की अर्थव्यवस्था इतनी बदहाल नहीं होती। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष...
नई दिल्ली: दिल्ली कांग्रेस ने नोटबंदी को देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ने वाला कदम बताते हुए कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के तर्क को यदि केंद्र सरकार समय रहते मान लेती तो आज देश की अर्थव्यवस्था इतनी बदहाल नहीं होती। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने पार्टी नेता शत्रुघ्न सिन्हा और प्रदेश महिला अध्यक्ष शर्मिष्ठा मुखर्जी के साथ मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यदि नरेंद्र मोदी सरकार ने समय रहते पूर्व प्रधानमंत्री की बात मान ली होती तो वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था जिस बदतर हालत में है, यह स्थिति कदापि नहीं होती।
चोपड़ा ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी के प्रमुख नेताओं राहुल गांधी तथा प्रियंका गांधी ने क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी(आरसीईपी) से देश के करोड़ों किसानों, छोटे मझोले दुकानदारों, मजदूरों, और लाखों घरेलू उद्योगों को होने वाले नुकसान प्रभावी विरोध किया था और इससे मोदी सरकार घबराई और समझौते पर दस्तखत नहीं किए। उन्होंने इसके लिए पार्टी शीर्ष नेताओं का धन्यवाद किया।
सिन्हा ने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि आर्थिक मंदी के इस दौर में देश में चौतरफा अफरातफरी मची हुई है। देश में 45 साल में पहली बार इतनी अधिक मंदी है और बेरोजगारी की दर बहुत तेजी से बढ़ रही है जो पिछले 72 साल में सबसे अधिक है। उन्होंने केंद्र सरकार पर चौतरफा लूट मचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश की जनता इसे और अधिक समय तक सहन नहीं करने वाली है। पूर्व मंत्री ने कहा कि सरकार में रहने हुए इन मुद्दों पर विरोध दर्ज कराने की कीमत उन्हें चुकानी पड़ी है। उन्होंने का देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) छह वर्षों के निम्न स्तर पर है। आंकड़ों की बाजीगरी छोड़ दी जाए तो चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी पांच प्रतिशत से भी नीचे रही।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, रेटिंग एजेंसी फित्च, विश्व बैंक, मूडी और भारतीय रिजर्व बैंक समेत सभी एजेंसियों ने देश के जीडीपी अनुमान में बड़ी कटौती की है। विश्व में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का देश अब खिसककर सातवें पायदान पर चला गया है।
सुश्री मुखर्जी ने कहा कि अगस्त 19 में औद्योगिक दर घटकर सात वर्ष के निचले स्तर 1.1 प्रतिशत पर आ गई। कारखाना क्षेत्र की बढ़ोतरी भी 1.2 प्रतिशत नकारात्मक है। कोर सेक्टर की वृद्धि दर पिछले चार सालों में सबसे कम है। अन्य क्षेत्रों की हालत भी बहुत खराब है। बैंकों की खराब स्थिति का उल्लेख करते हुए कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि डूबा हुआ कर्ज आठ लाख करोड़ रुपए हो गया है। केंद्र में भाजपा सरकार के पांच सालों के कार्यकाल में बैंकों में धोखाधड़ी के करीब 25 हजार मामले सामने आए हैं जिनमें बैंकों को एक लाख 74 हजार 255 करोड़ रुपए की चपत लगी है। उन्होंने आरोप लगाया कि बैकों के साथ धोखाधड़ी करने वाले अपराधियों को दंड देने की बजाय केंद्र की भाजपा सरकार उनका बचाव कर रही है।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने देश के नागरिकों का ‘ पैसा लूटो और भाग जाओ' का नया नियम बना लिया है। गंभीर वित्तीय संकट का सबसे बड़ा प्रमाण है कि चालू वित्त वर्ष में सरकार को कुल कर राजस्व में दो लाख करोड़ रुपए की गिरावट का अनुमान लगाया गया है। समाप्त वित्त वर्ष में यह एक लाख 90 हजार करोड़ रुपए थी। चालू वित्त वर्ष में वित्तीय घाटा चार प्रतिशत रहने का अनुमान है। दस लाख करोड़ रुपए के भुगतान नहीं किए गए बिलों को भी गणना में शामिल कर लिया जाये तो वित्तीय घाटा आठ प्रतिशत को पार कर जाएगा।