मतदाताओं का आधार डेटा लीक हुआ तो अधिकारियों पर गिरेगी गाज, चुनाव आयोग की चेतावनी

Edited By Yaspal,Updated: 05 Jul, 2022 08:13 PM

if the voters  aadhaar data is leaked the officials will be punished

चुनाव आयोग ने मतदाताओं द्वारा अपना आधार डाटा साझा करने के लिए भरे गए फॉर्म से कोई भी जानकारी लीक होने की सूरत में मतदाता पंजीकरण अधिकारियों के खिलाफ ‘कड़ी'' अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। चुनाव आयोग ने दोहरी प्रविष्टियों को हटाने के...

नई दिल्लीः चुनाव आयोग ने मतदाताओं द्वारा अपना आधार डाटा साझा करने के लिए भरे गए फॉर्म से कोई भी जानकारी लीक होने की सूरत में मतदाता पंजीकरण अधिकारियों के खिलाफ ‘कड़ी' अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। चुनाव आयोग ने दोहरी प्रविष्टियों को हटाने के लिए आधार को मतदाता सूची के साथ जोड़ने की अनुमति देने वाले नियम जारी किए जाने के कुछ दिनों बाद यह चेतावनी जारी की है। आयोग ने इस बात पर भी जोर दिया है कि मतदाताओं द्वारा आधार डाटा साझा करना ‘स्वैच्छिक' है।

चार जुलाई को सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को भेजे गए पत्र में चुनाव आयोग ने कहा है कि पुनरीक्षण के दौरान विशेष अभियान तिथियों के साथ मेल खाने वाली तिथियों पर क्लस्टर स्तर पर विशेष शिविर आयोजित किए जा सकते हैं, जहां मतदाताओं को हार्ड कॉपी में फॉर्म-6 बी में स्वेच्छा से अपना आधार नंबर देने के लिए राजी किया जा सकता है। कानून मंत्रालय की एक अधिसूचना के मुताबिक, हाल ही में पेश फॉर्म-6 बी के जरिये मतदाता निर्वाचन अधिकारियों से अपना आधार नंबर साझा कर सकते हैं।

अधिसूचना में कहा गया है, “लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1950 की धारा 23 की उप-धारा (5) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार एक अप्रैल 2023 को उस तारीख के रूप में अधिसूचित करती है, जिस दिन या उससे पहले वह प्रत्येक व्यक्ति, जिसका नाम मतदाता सूची में शामिल है, उक्त धारा के अनुसार अपना आधार नंबर साझा कर सकता है।” एक वरिष्ठ अधिकारी ने हाल ही में कहा था, “अधिसूचना में ‘कर सकता है' शब्द का इस्तेमाल किया गया है, न कि ‘करेगा' का, जिससे विवरण साझा करने का फैसला स्वैच्छिक हो जाता है।”

पत्र में कहा गया है कि आधार नंबर साझा करना ‘विशुद्ध रूप से स्वैच्छिक' है और मतदाता पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) ‘मतदाताओं को स्पष्ट करेगा कि आधार नंबर मांगने का उद्देश्य मतदाता सूची में उनकी प्रविष्टियों का प्रमाणीकरण करना और भविष्य में उन्हें बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना है।' पत्र में दोहराया गया है कि चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम-2021 में इस बात का जिक्र किया गया था कि ईआरओ किसी भी मौजूदा मतदाता द्वारा आधार नंबर देने में असमर्थता जताने पर मतदाता सूची में से किसी भी प्रविष्टि को नहीं हटाएगा।

आधार नंबर जुटाने और उसे संभालने के लिए किए गए सुरक्षा उपायों का जिक्र करते हुए पत्र में कहा गया है, “किसी भी सूरत में यह सार्वजनिक मंच पर नहीं जाना चाहिए। अगर मतदाता की जानकारी सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शित करना आवश्यक है तो उसमें से आधार डाटा हटा दिया जाना चाहिए या फिर उसे छिपा देना चाहिए।”

पत्र में कहा गया है कि आधार नंबर से लैस फॉर्म-6 बी की हार्ड कॉपी के संरक्षण के लिए आधार (प्रमाणीकरण एवं ऑफलाइन सत्यापन) विनियम-2022 के एक विनियमन के प्रावधानों का सख्ती से पालन किया जाएगा। इस विनियमन में कहा गया है कि भौतिक फॉर्म या आधार कार्ड की फोटोकॉपी के माध्यम से लोगों का आधार नंबर प्राप्त करने वाली संस्था इसकी भौतिक प्रतियों को संग्रहीत करने से पहले आधार नंबर के पहले 8 अंकों को छिपा देगी।

चुनाव आयोग ने चेताया, “मतदाताओं से एकत्रित किए गए फॉर्म-6 बी को अटैचमेंट के साथ डिजिटाइजेशन के बाद ईआरओ द्वारा दोहरे लॉक से सुरक्षित अभिरक्षा में रखा जाएगा। सार्वजनिक मंच पर भौतिक फॉर्म के लीक होने की सूरत में ईआरओ के खिलाफ गंभीर अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी।”

आयोग ने स्पष्ट किया कि विभिन्न इनपुट चैनलों के माध्यम से ईरोनेट में डिजिटाइज किए गए 12 अंकों के आधार नंबर को किसी भी परिस्थिति में ईरोनेट में संग्रहीत नहीं किया जाएगा। पत्र में कहा गया है, “इस नंबर को यूआईडीएआई के प्रासंगिक नियमों के तहत निर्वाचन आयोग द्वारा किराए पर लिए गए लाइसेंस वाले आधार वॉल्ट में सहेजा जाना चाहिए।”

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