मुफ्त बांटने की राजनीति रही तो अर्थव्यवस्था ढह जाएगी, केंद्र सरकार की सुप्रीम कोर्ट में दलील

Edited By Yaspal,Updated: 03 Aug, 2022 10:44 PM

if there is politics of free distribution the economy will collapse

केंद्र सरकार ने चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहार दिये जाने की घोषणाओं की प्रथा के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका का पूर्ण समर्थन करते हुए बुधवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि मुफ्त उपहारों का वितरण (देश को) निस्संदेह 'भविष्य की आर्थिक...

नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहार दिये जाने की घोषणाओं की प्रथा के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका का पूर्ण समर्थन करते हुए बुधवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि मुफ्त उपहारों का वितरण (देश को) निस्संदेह 'भविष्य की आर्थिक आपदा' की राह पर धकेलता है।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष केंद्र सरकार का ताजा रुख इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे पहले उसने मुफ्त उपहार के मुद्दे से चुनाव आयोग द्वारा निपटे जाने पर जोर दिया था। हालांकि, आयोग ने 26 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान सरकार पर जिम्मेदारी डाल दी थी।

पीठ ने बुधवार को केंद्र, नीति आयोग, वित्त आयोग और भारतीय रिजर्व बैंक सहित सभी हितधारकों से चुनावों के दौरान मुफ्त में दिए जाने वाले उपहारों के मुद्दे पर विचार करने और इससे निपटने के लिए “रचनात्मक सुझाव” देने को कहा। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार जनहित याचिका का समर्थन करती है।

मेहता ने कहा, “इस तरह के लोकलुभावन वादों का मतदाताओं पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इस तरह के मुफ्त उपहारों का वितरण निस्संदेह न केवल भविष्य में आर्थिक आपदा का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि मतदाता भी अपने मताधिकारों का इस्तेमाल विवेकपूर्ण निर्णय के लिए नहीं कर पाते हैं।''

मेहता ने कहा कि एक आम आदमी इस तरह के मुफ्त उपहारों को स्वीकार करते हुए कभी महसूस नहीं करेगा कि 'उसकी दाहिनी जेब को जो कुछ मिल रहा है उसे बाद में उसकी बाईं जेब से निकाल लिया जाएगा।' उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को न केवल लोकतंत्र की रक्षा के लिए, बल्कि देश के आर्थिक अस्तित्व की रक्षा के लिए भी मुफ्त उपहार संस्कृति को फलने-फूलने से रोकना चाहिए।

हालांकि, आयोग के वकील ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले इस पर बाध्यकारी हैं और इसलिए वह मुफ्त उपहार के मुद्दे पर कार्रवाई नहीं कर सकता है। शीर्ष अदालत ने वकील अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका की आगे की सुनवाई के लिए बृहस्पतिवार की तारीख मुकर्रर की और कहा कि सभी हितधारकों को इस मुद्दे पर सोचना चाहिए और सुझाव देना चाहिए, ताकि यह 'गंभीर' मामले से निपटने के लिए एक निकाय का गठन कर सके।

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