भारत से कनाडा के 41 राजनयिकों के जाने से क्या प्रभाव पड़ेगा? जानिए हमारी खास रिपोर्ट में

Edited By Rahul Singh,Updated: 03 Oct, 2023 08:21 PM

impact of the departure of 41 canadian diplomats from india

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत पर आरोप लगाने के बाद नई दिल्ली और ओटावा के बीच राजनयिक संबंध सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। चर्चा है कि भारत और कनाडा के बीच डिप्लोमेटिक संबंध...

नैशनल डैस्क : कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत पर आरोप लगाने के बाद नई दिल्ली और ओटावा के बीच राजनयिक संबंध सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। चर्चा है कि भारत और कनाडा के बीच डिप्लोमेटिक संबंध टूट सकते हैं।

इस मामले में बढ़ते तनाव के बीच भारत सरकार ने नया एक्शन लेते हुए कनाडा सरकार को अपने 41 राजनयिकों को वापस बुलाने को कहा है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत ने कनाडा से कहा है कि वो 10 अक्टूबर तक अपने 40 राजनयिकों को वापस बुलाए। हालांकि, भारत सरकार ने अभी तक आधिकारिक तौर पर इस संबंध में बयान जारी नहीं किया है। कनाडा के भारत में 62 राजनयिक हैं और भारत ने कहा है कनाडा अपने 41 राजनयिकों को वापस बुलाए। अब सवाल यह बनता है कि भारत के कनाडा के 41 राजनियकों के जाने से क्या प्रभाव पड़ने वाला है...तो आइए जानें विस्तार से-

वीजा रिफ्यूज होने की दर भी बढ़ेगी

भारत से हर साल लाखों लोग कैनेडा जाते हैं, लिहाजा बड़ी संख्या में आने वाली इन एप्लीकेशन्स की प्रोसेसिंग के लिए ज्यादा स्टाफ की भी जरूरत रहती है। कैनेडियन हाई कमिशन का मुख्य कार्यालय दिल्ली में है, जबकि बेंगलोर, चंडीगढ़ और मुम्बई में भी कनाडा के वीजा कार्यालय हैं। यदि कार्यालयों में स्टाफ की कमी होती है तो निश्चित तौर पर भारतीयों द्वारा की जा रही एप्लीकेशनन की प्रोसेसिंग पर असर पड़ेगा और प्रोसेसिंग की गति धीमी हो जाएगी। इसके साथ ही कनाडा के लिए अप्लाई किए जाने वाले वीजे के रिफ्यूज होने की दर भी बढ़ सकती है।

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चंडीगढ़ में नहीं कम हो सकती राजनयिकों की संख्या

हालांकि, चंजीगढ़ में राजनयिकों की संख्या कम नहीं हो सकती है। भारत के राजनियकों की संख्या कनाडा में 21 है तो भारत भी यही चाहता है कि फिलहाल भारत में कैनेडियन राजनियकों की संख्या भी इतनी ही रहे। कनाडा में चल रहे विवाद के दौरान भारतीय हिंदु खालिस्तानियों का डट कर विरोध कर रहे हैं और खालिस्तानियों का विरोध करने वालों में बड़ी संख्या गुजराती व दक्षिण भारतीय हिंदुओं की है। वहीं कनाडा का खालिस्तानी प्रेम जग जाहिर है, लिहाजा यदि कनाडा को भारत में वीजा आवेदन रद्द करने की जरूरत पड़ी तो मुम्बई, दिल्ली और बेगलूर स्थित कनाडा के काउंसलेट जनरल का स्टाफ सबसे ज्यादा कम किया जाएगा। 

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कनाडा जाने वाले अधिकतर लोग पंजाब से

कनाडा में पढ़ाई, टूरिज्म और कारोबार के लिए जाने वाले भारतीयों में सबसे ज्यादा लोग पंजाब से जाते है। कनाडा के 2021 के जनगणन के आंकड़ों के मुताबिक भी यह बात साफ है कि कनाडा जाने वाले अधिकतर लोग पंजाब से होते हैं। पंजाबियों की संख्या कनाडा में भारत के अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा है। पिछले साल कैनेडा ने साढ़े 3 लाख से ज्यादा वीजा एप्लीकेशन्स प्रोसेस की थी। इनमें अधिकतर वीजा एप्लीकेशन्स पंजाब से लगाई गई थीं। यदि कनाडा को भारत में अपना स्टाफ कम करना पड़ा तो इसका कुछ असर पंजाब में भी नजर आ सकता है। ऐसे में कनाडा नहीं चाहेगा कि वो पंजाब के लोगों के वीजे रद्द करे। 

स्टाफ की कमी होने पर भारतीय स्टूडेंट्स पर पड़ेगा असर

इसके अलावा कनाडाई राजनियकों की संख्या कम होने का असर भारतीय स्टूडेंट्स पर पड़ेगा। हालांकि, कनाडा को ही नुकसान झेलना पड़ेगा क्योंकि लाखों भारतीय स्टूडेंट्स कनाडा में पढ़ाई के लिए वहां के विश्वविद्यालयों के लिए लाखों पैसा खर्च करते हैं। यदि वीजा लगने की संख्या कम हुई तो फिर इसका असर कनाडा के विश्वविद्यालयों पर पड़ता भी नजर आता है।

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कनाडा में विदेशी छात्रों में बड़ी संख्या भारतीयों की 

- कनाडा सरकार के आंकड़ों के अनुसार साल 2022 में कुल 5.5 लाख अंतरराष्ट्रीय छात्रों में से 2.26 लाख छात्र इंडिया से थे।

- ये कुल छात्रों का 40 प्रतिशत है। इससे पहले से 3.2 लाख भारतीय छात्र वीजा पर कनाडा में रह रहे थे।


छात्रों को गुमराह नहीं कर पाएंगे एजेंट

भारत से विदेश में पढ़ाई के लिए जाने वाले छात्रों में से अधिकतर छात्र कनाडा को प्राथमिकता देते हैं। इसे देखते हुए ही कई एजेंटों ने भारत के साथ कनाडा में भी अपने दफ्तर खोल लिए हैं और कई एजेंट छात्रों को गुमराह करके कालेजों में दाखिला दिलवा देते हैं और फिर उन्हें मान्यता प्राप्त कालेजों में दाखिले के लिए दोबारा पैसे वसूलते हैं। अगर राजनियकों की संख्या कम हुई तो सीधा असर एजेंटों पर पड़ेगा जो पहले की तरह छात्रों को गुमराह करके कमाई नहीं कर पाएंगे।


 

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