Edited By Seema Sharma,Updated: 03 Aug, 2018 01:34 PM
चीन शुरू से ही भारत की परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में सदस्यता को लेकर अड़गा डालता आया है। वहीं अब भारत को इसकी जरूरत भी नहीं है। दरअसल अमेरिका ने हाल ही में पिछले हफ्ते भारत को विशेष रणनीतिक कारोबारी साझेदार देश (एसटीए-1) का दर्जा दिया है।
नई दिल्लीः चीन शुरू से ही भारत की परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में सदस्यता को लेकर अड़गा डालता आया है। वहीं अब भारत को इसकी जरूरत भी नहीं है। दरअसल अमेरिका ने हाल ही में पिछले हफ्ते भारत को विशेष रणनीतिक कारोबारी साझेदार देश (एसटीए-1) का दर्जा दिया है। एसटीए-1 का दर्जा मिलने के बाद अब भारत एनएसजी का सदस्य बने बिना ही अमेरिका से संवेदनशील हथियार व उच्च तकनीकी हासिल कर सकता है। हालांकि विदेश मत्रालय के अधिकारियों की तरफ से कहा गया है कि एनएसजी में शामिल होने के लिए भारत की ओर से कोशिश जारी रहेगी।
अधिकारियों की तरफ से कहा गया कि अमेरिका एनएसजी का सबसे अहम सदस्य है और संवदेनशील तकनीकी के अंतर्राष्ट्रीय कारोबार की निगरानी का सबसे बड़ा समर्थक देश भी है, ऐसे में उसकी तरफ से भारत को एसटीए-1 दर्जा मिलने से एनएसजी की सदस्यता का दावा करने मेें आसानी होगी।
उल्लेखनीय है कि भारत लंबे समय से एनएसजी का सदस्य बनने की दावेदारी पेश कर रहा है लेकिन हर बार चीन ने ही इसमें रोड़ा अटकाया। जबकि एनएसजी में शामिल 48 में से अन्य सभी सदस्य भारत की दावेदारी के पक्ष में हैं। दरअसल चीन चाहता है कि भारत के साथ पाकिस्तान भी एनएसजी में शामिल हो लेकिन अन्य देशों के सदस्य ये नहीं चाहते हैं।