कोरोनाः अंतराष्ट्रीय दबाव के बीच हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के निर्यात पर फैसला ले सकता है भार

Edited By Yaspal,Updated: 06 Apr, 2020 10:06 PM

india may decide on the export of hydroxychloroquine drug

कोरोना वायरस महामारी पूरी दुनिया के लिए सिरदर्द बन गई है। ऐसे में कोरोना से लड़ने के लिए अमेरिका ने भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की मांग की है। वहीं, भारत बढ़ते अंतराष्ट्रीय दबाव के बीच हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के निर्यात की मंजूरी दे सकता...

नेशनल डेस्कः कोरोना वायरस महामारी पूरी दुनिया के लिए सिरदर्द बन गई है। ऐसे में कोरोना से लड़ने के लिए अमेरिका ने भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की मांग की है। वहीं, भारत बढ़ते अंतराष्ट्रीय दबाव के बीच हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के निर्यात की मंजूरी दे सकता है। सूत्रों के मुताबिक, भारत सरकार देश के लिए पर्याप्त स्टॉक देखने के बाद कर इस पर निर्णय ले सकती है। कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए भारत ने पिछले महीने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात और मलेरिया दवा के निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया था। जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि COVID -19 के मरीजों के इलाज में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन उपयोगी साबित हो सकती है। फिलहाल में कोरोना के लिए न तो अभी कोई वैक्सीन बनी है और न ही अभी कोई विशेष इलाज है।
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भारत है सबसे बड़ा उत्पादक देश
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन एक मलेरिया की दवा है और कोरोना महामारी के मरीजों के लिए संभावित इलाज के रूप में परीक्षण के दौर से गुजर रही दवाओं में से एक है। वहीं, भारत इस दवा निर्माण का दुनिया के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अमेरिका में कमी के बीच हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात की आपूर्ति करने का अनुरोध किया है। सोमवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की देश में पर्याप्त स्टॉक का आकलन किया गया। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बफर स्टॉक उपलब्ध होने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कुल घरेलू जरूरत से 25 फीसदी अधिक स्टॉक बाद हमने दवा के निर्यात को आगे बढ़ाने का फैसला किया है।"
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कई देशों में है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की मांग
बता दें कि अमेरिका, ब्राजील समेत कम से कम 30 देश भारत से इस दवा की आपूर्ति करने की मांग कर चुके हैं।  अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दो दिन पहले पीएम नरेंद्र मोदी के साथ हुई टेलीफोन बातचीत में क्लोरोक्विन दवा का निर्यात करने का आग्रह किया गया था। बाद में ट्रंप ने बताया भी कि, ‘हमने मोदी से मलेरिया के इलाज में काम आने वाली दवा हाइड्राक्लीक्लोरोक्विन दवा का निर्यात खोलने की अपील की है। भारत में यह दवा बड़े पैमाने पर बनती है। यह दवा कोरोना के इलाज में भी कारगर है। मोदी ने कहा है कि वह गंभीरता से विचार करेंगे।’ ट्रंप के इस बयान के कुछ ही घंटे बाद ब्राजाली के राष्ट्रपति जे एम बोलसोनारो ने भी ट्वीट कर कहा कि, ‘उनकी भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी से बात हुई है और भारत से हाइड्राक्लीक्लोरोक्विन की आपूर्ति जारी रखने का आग्रह किया गया है। हम लोगों की जान बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते।’
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भारतीय अधिकारियों का कहना है कि अमेरिका, ब्राजील के अलावा 30 यूरोपीय व एशियाई देशों ने भारत से यह दवा की मांग की है। इसमें पड़ोसी देश भी शामिल है। दरअसल, जब से अमेरिकी डाक्टरों ने यह कहा है कि मलेरिया में इस्तेमाल होने वाली यह दवा कोरोना के इलाज के लिए कारगर है, तब से इसकी मांग बढ़ गई है। दूसरी तरफ, भारत पहले यह सुनिश्चित करना चाहता है कि उसकी 135 करोड़ आबादी के लिए यह उपलब्ध रहे। इसलिए शनिवार को इसके निर्यात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया। यहां तक कि विशेष आर्थिक जोन से होने वाले निर्यात पर भी रोक लगा दिया गया है। अभी तक अग्रिम राशि जिन कंपनियों ने ले लिया था उन्हें निर्यात की इजाजत थी, लेकिन अब उस पर भी रोक है। इसके पीछे वजह यह है कि सरकार अभी सही तरीके से आकलन करने में जुटी है कि भारत में इस दवा का उत्पादन क्षमता कितना है और आपातकालीन हालात में इसे कितना बनाया जा सकता है।

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