परमाणु हथियारों की धमकी देने पर भारत ने PAK को चेताया, कहा- अब हालात बदल गए

Edited By Seema Sharma,Updated: 15 Oct, 2019 03:50 PM

india warns pakistan over threat of use of nuclear weapons

जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के दक्षिण एशिया में संभावित परमाणु युद्ध संबंधी बयान के कुछ दिनों बाद, भारत ने सीमा पार आतंकवाद को छुपाने के लिए देशों द्वारा परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की...

नेशनल डेस्क: जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के दक्षिण एशिया में संभावित परमाणु युद्ध संबंधी बयान के कुछ दिनों बाद, भारत ने सीमा पार आतंकवाद को छुपाने के लिए देशों द्वारा परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी देने के खतरों को लेकर चेताया। निरस्त्रीकरण सम्मेलन (सीडी) में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पंकज शर्मा ने कहा कि वैश्विक सुरक्षा हालात लगातार बदल रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति होने के नाते भारत का परमाणु सिद्धांत इन हथियारों का पहले प्रयोग नहीं करना और परमाणु हथियार रहित देशों के खिलाफ इसका इस्तेमाल नहीं करने का है।

 

उन्होंने निरस्त्रीकरण, वैश्विक चुनौतियों और शांति के लिए खतरों से निपटने वाली प्रथम समिति की आम बहस में सोमवार को कहा कि वैश्विक सुरक्षा हालात लगातार बदल रहे हैं। कुछ ऐतिहासिक निरस्त्रीकरण संधियों एवं समझौतों के समाप्त होने और सीमा पार आतंकवाद को छुपाने के लिए देशों द्वारा परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी देने से पैदा होने वाले खतरों और परमाणु सीमा के कम होने की चिंता है। शर्मा का यह बयान ऐसे समय में आया है जब कुछ ही दिन पहले खान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र में पहली बार भाषण दिया और 50 मिनट के अपने संबोधन में उन्होंने आधा समय भारत और कश्मीर पर ही बात की।

 

भारत ने इसका कड़ा जवाब देते हुए कहा था कि परमाणु विध्वंस की धमकी अस्थिरता का सूचक है, न कि शासन कला की। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को पांच अगस्त को हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान कश्मीर मामले का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की कोशिश कर रहा है, जबकि भारत का कहना है कि यह भारत का आंतरिक मामला है और पाकिस्तान को हकीकत स्वीकार कर लेनी चाहिए। भारत ने साथ ही कहा है कि कश्मीर मामले में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई आवश्यकता नहीं है। शर्मा ने कहा कि निरस्त्रीकरण तंत्र उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया, जैसा कि निरस्त्रीकरण सम्मेलन (सीडी) में दो दशकों से अधिक समय से बरकरार गतिरोध और इस साल सत्र आयोजित करने में संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण आयोग की असमर्थता से स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि हां, वार्ता एवं सहयोग के मूल्यों में हमारे बुनियादी भरोसे के कारण उम्मीद कायम है। शर्मा ने कहा कि निरस्त्रीकरण सम्मेलन ‘कार्य संबंधी कार्यक्रम' पारित करने में इस साल असफल रहा।

 

उन्होंने कहा कि ऐसा राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव और विभाजनकारी नीतियों के कारण हुआ। इसके लिए प्रक्रिया के नियमों में कमी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। शर्मा ने कहा कि हमें एकमात्र निरस्त्रीकरण वार्ता मंच के रूप में सीडी को बचाए रखने और इसके जनादेश के अनुसार ठोस काम करने की आवश्यकता है। भारत सीडी के एजेंडे के सभी मूल मामलों पर साथी सदस्यों के साथ काम करने को तैयार है। नई दिल्ली ने 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में जमा कराए गए परमाणु निरस्त्रीकरण कार्य पत्र की रूपरेखा के अनुसार चरणबद्ध तरीके से परमाणु हथियारों को पूर्णत: नष्ट करने की भी अपील की।

 

पूर्ववर्ती वर्षों की तरह भारत ‘परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध को लेकर संधि', ‘परमाणु खतरा कम करना' ‘आतंकवादियों को व्यापक विनाश के हथियार हासिल करने से रोकना' और ‘अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा एवं निरस्त्रीकरण के संदर्भ में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका' विषय पर चार मसौदा प्रस्ताव पेश करेगा। शर्मा ने कहा कि भारत निरस्त्रीकरण को दी जाने वाली प्राथमिकता को कम किए बिना विखंडनीय परमाणु सामग्री उत्पादन निषेध संधि (एफएमसीटी)पर सीडी में वार्ता तत्काल शुरू करने का समर्थन करता है। उन्होंने विश्व के विभिन्न हिस्सों में रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के हालिया वर्षों में सामने आए त्रासदीपूर्ण मामलों के मद्देनजर रासायनिक हथियार संधि के पूर्ण एवं प्रभावी क्रियान्वयन की महत्ता पर भी बल दिया।

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