ये भारतवंशी है इंटरनेट का खलनायक, 2 हफ्ते में लाखों लोगों ने देखा वीडियो

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Dec, 2017 12:49 PM

indian american ajit pai is villain of the intenet

अमरीका के फ़ैडरल कम्यूनिकेशन कमिशन (FCC) के चीफ़ अजीत पई (44) को बहुत से लोग ''इंटरनेट के खलनायक'' के तौर पर जानते हैं। FCC का कामकाज तक़रीबन भारत के दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ट्राई (TRAI) जैसा ही है...

वॉशिंगटनः अमरीका के फ़ैडरल कम्यूनिकेशन कमिशन (FCC) के चीफ़ अजीत पई (44) को बहुत से लोग 'इंटरनेट के खलनायक' के तौर पर जानते हैं। FCC का कामकाज तक़रीबन भारत के दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ट्राई (TRAI) जैसा ही है। अमरीका में नेट न्यूट्रैलिटी से जुड़े एक क़ानून को रद्द करने का फ़ैसला किया गया है। इंटरनेट पर नेट न्यूट्रैलिटी की गारंटी देने वाले इस अमरीकी क़ानून को खत्म करने के पक्ष में अजीत पई के वोट देने से 2 हफ्ते पहले स्वीडिश प्रोड्यूसर और विवादास्पद व्यंग्यकार ने अजीत पई को लेकर यूट्यूब पर एक वीडियो  जारी किया था  जिसका टाइटल था द मोस्ट हेटेड पर्सन ऑन द इंटरनेट ।  2 हफ्ते में इस वीडियो को तीस लाख से भी ज़्यादा बार देखा जा चुका है। अजीत पई का वोट इस लिहाज से निर्णायक था क्योंकि इससे नेट न्यूट्रैलिटी के पैरोकार तीन मतों के मुक़ाबले दो पर रह गए। 
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कौन हैं अजीत पई?
राष्ट्रपति ट्रंप ने जनवरी, 2017 में सरकार में आने के बाद अजीत पई की एफ़सीसी चीफ़ के पद पर नियुक्ति की थी। डेमोक्रेट राष्ट्रपति बराक ओबामा के दौर में भी अजीत पई ने कभी भी नेट न्यूट्रैलिटी की गारंटी देने वाले क़ानून के प्रति अपना विरोध छुपाया नहीं था। वे रिपब्लिकन पार्टी के लिए रुझान रखते हैं। ओबामा के वक्त गठित किए गए एक आयोग ने नेट न्यूट्रैलिटी की गारंटी देने वाले नियमों को मंजूरी दी थी।  इससे भी दिलचस्प बात ये है कि ओबामा प्रशासन ने ही रिपब्लिकन पार्टी के एक नेता मिक मैकोनेल की सिफ़ारिश पर अजीत पई की एफ़सीसी मेंबर के तौर पर नियुक्ति की थी। आप्रवासी भारतीय परिवार में पैदा हुए अजीत पई ने शिकागो यूनिवर्सिटी से क़ानून और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई की है।  44 साल के अजीत पई का करियर अमरीकी सरकार और कॉरपोरेट वर्ल्ड दोनों में ही शानदार रहा है, ख़ासकर दूरसंचार के क्षेत्र में। 

क्या है इंटरनेट न्यूट्रैलिटी?
इंटरनेट यूज़र्स के लिए समान स्पीड और समान कीमत पर इंटरनेट उपलब्ध रहने का विचार ही इंटरनेट न्यूट्रैलिटी यानी इंटरनेट तटस्थता है। मसलन, वॉट्सऐप के डेटा पैक की कीमत 65 रुपए  और ट्विटर वाले डेटा पैक की कीमत 250 रुपए हो  जबकि दोनों मोबाइल ऐप के इस्तेमाल के लिए आपको एक ही इंटरनेट की जरूरत होती है।  ऐसे में कंपनियां इंटरनेट की उपलब्धता को कीमत से प्रभावित करके आपके चुनने की शक्ति को प्रभावित कर सकती हैं। दरअसल, नेट न्यूट्रैलिटी (इंटरनेट तटस्थता) वो सिद्धांत है जिसके तहत माना जाता है कि इंटरनेट सर्विस प्रदान करने वाली कंपनियां इंटरनेट पर हर तरह के डेटा को एक जैसा दर्जा देंगी। इंटरनेट सर्विस देने वाली इन कंपनियों में टेलीकॉम ऑपरेटर्स भी शामिल हैं। इन कंपनियों को अलग अलग डेटा के लिए अलग-अलग कीमतें नहीं लेनी चाहिए चाहे वो डेटा अलग-अलग वेबसाइटों पर विजिट करने के लिए हो या फिर अन्य सेवाओं के लिए। 

 

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