हर देश के लिए घातक हैं तर्कहीन बयान

Edited By ,Updated: 31 May, 2016 02:13 PM

irrational family planning attitude offensive conservative

विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश चीन और दूसरे स्थान पर कायम भारत की सरकार विभिन्न उपायों से इसे नियंत्रित करने के प्रयास

विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश चीन और दूसरे स्थान पर कायम भारत की सरकार विभिन्न उपायों से इसे नियंत्रित करने के प्रयास में जुटी रहती हैं। कई बार भारत में धार्मिक गुरु लोगों से अधिक बच्चे पैदा करने की सलाह देते रहते हैं। आज के समय में ऐसे सुझावों को तर्कहीन और निरर्थक माना जाता है। ऐसे आह्वान करने वालों में तुर्की के राष्ट्रपति का नाम भी जुड़ गया है।

पहले बात करते हैं काशी के शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती की। उन्होंने एक बार फिर  हिन्दुओं को 10 बच्चे पैदा करने की सलाह दी है। उनका कहना है​ कि जहां-जहां हिंदुओं की संख्या घटी है, वहां आतंकवाद बढ़ा है। परिवार नियोजन की बात करने वाले को उन्होंने मूर्ख बताया है। विद्वान संतों से ऐसे बयानों की अपेक्षा नहीं की जा सकती है। कोई जरूरी नहीं कि मां-बाप की चौथी-पांचवीं संतान ही देश सेवा के योग्य होती हैं। यह दायित्व पहली, दूसरी या दोनों संतानें कर सकती हैं। हर संतान भारतीय संस्कृति का वाहक बन सकती है।

दूसरी ओर, तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तय्यप एर्दोआन ने मुसलमानों ​और परिवार नियोजन पर एक ऐसा बयान दिया है जिससे विवाद उत्पन्न हो गया है। मुस्लिम लोगों को परिवार नियोजन से दूरी बनाने की सलाह देना उनके अवैज्ञानिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। वे इस समुदाय का आह्वान काते हैं कि उन्हें अपनी संतान की संख्या को बढ़ाना चाहिए। ​बर्थ कट्रोल की कोई जरुरत नहीं है। राष्ट्रप्रति इस बात के लिए दबाव नहीं डाल सकते कि प्रत्येक परिवार की महिला को कितने बच्चे पैदा करने हैं। 

परिवार नियोजन को अपनाने का आह्वान राष्ट्र हित में किया जाता है। य​ह किसी समुदाय विशेष के लिए या उससे प्रभावित योजना नहीं है। इसे धर्म के आधार पर नहीं लेना चाहिए। परिवार नियोजन किसी धर्म विशेष की परंपराओं के खिलाफ नहीं है। धरती पर रहने की जगह घट रही है। कम होते संसाधनों को देखते हुए जनसंख्या को नियंत्रित करने का यही बेहतर उपाय है। इसलिए कट्टरपंथियों जैसी बात करना शुभ संकेत नहीं है।

तुर्की ए​क प्रभावशाली मुस्लिम देश है। यदि उसके राष्ट्रपति ऐसे सुझाव देंगे तो मुस्लिम जगत में इससे कड़ा संदेश जाएगा। इसी आधार पर पूरे मुस्लिम समाज के बारे में गैर-मुस्लिम की राय बिगाड़ जाती है। इस बयान को प्रगतिशीलता के खिलाफ माना जाएगा। उनका इस बयान का सीधे तौर पर मुस्लिम जनसंख्या को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना है। 

एर्दोआन तुर्की के राष्ट्रपति के अलावा दक्षिणपंथी न्याय और विकास पार्टी एकेपी के संस्थापक भी हैं। तुर्की के उदारवादी लोग उनकी नीतियों की आलोचना करते रहते हैं। यह पहली बार नहीं है, इससे पहले भी एर्दोआन अपने बयानों से नारीवादियों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं को नाराज कर चुके हैं। वर्ष 2014 में उन्होंने जन्म नियंत्रण को राजद्रोह करार दिया था। उन्होंने इसका तक बड़ा अजीब तर्क दिया था कि इससे आने वाली पूरी पीढ़ी गायब हो जाएगी। एक बार वे मांओं को चार-चार बच्चे पैदा करने की सलाह दे चुके हैं। इससे उनकी मानसिकता को समझा जा सकता है। वे यही कहते हैं कि मुसलमान परिवारों को परिवार नियोजन के बजाय ‘बड़े परिवार’ की सोच को अपनाना चाहिए। गर्भनिरोधक साधनों का उपयोग करना बच्चों के जन्म को रोकना तुर्की से विश्वासघात के बराबर है।

तुर्की की जनसंख्या वर्ष 2000 में 6.8 करोड़ से भी कम थी। पिछले साल यह बढ़कर 7.87 करोड़ हो गई। एर्दोआन इस गति को और बढ़ाने के पक्षधर हैं। उनका यह भी कहना आपत्तिजनक हे कि महिलाओं को पुरुष के बराबर नहीं माना जा सकता। महिलाएं पुरुषों के साथ—साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में आगे हैं। वह उनसे कमतर नहीं आंकी जा सकती, लेकिन तुर्की के राष्ट्रपति का यह बयान गैर जिम्मेदाराना माना जाएगा। वे पुरानी और रूढिवादी बातों से बाहर नहीं निकलना चाहते। उनके समर्थक भी इसका अनुसरण करेंगे तो समाज में एक ऐसा वर्ग खड़ा हो जाएगा जो कुप्रथाओं से मुक्त नहीं होना चाहेगा। तुर्की के युवा वर्ग को विशेषरूप से ऐसे बयानों और आह्वानों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। 

एर्दोआन 12 साल तक देश के प्रधानमंत्री रहने के बाद, अगस्त 2014 में तुर्की के राष्ट्रपति बने हैं। उनकी एके पार्टी कट्टरपंथी इस्लाम को मानती है और उनके ज़्यादातर समर्थक भी रूढ़िवादी हैं। यदि वे ऐसे आह्वान करते रहे तो तुर्की की जनता पुरानपंथी की जकड़न से कभी मुक्त नहीं हो पाएगी।

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