वायु प्रदूषण पर जावड़ेकर की मीटिंग, बोले- 2016 के मुकाबले 2019 में ज्यादा साफ रही हवा

Edited By Seema Sharma,Updated: 01 Oct, 2020 03:35 PM

javadekar meeting on air pollution

सर्दियों की शुरुआत के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की समस्या भी बढ़ने लगती है। दिल्ली में प्रदूषण को लेकर गुरुवार को पर्यावरण मंत्रालय ने एक वर्चुअल मीटिंग की। दरअसल हरियाणा और पंजाब समेत विभिन्न राज्यों में पराली जलाने के कारण दिल्ली...

नेशनल डेस्कः सर्दियों की शुरुआत के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की समस्या भी बढ़ने लगती है। दिल्ली में प्रदूषण को लेकर गुरुवार को पर्यावरण मंत्रालय ने एक वर्चुअल मीटिंग की। दरअसल हरियाणा और पंजाब समेत विभिन्न राज्यों में पराली जलाने के कारण दिल्ली में होने वाले प्रदूषण को लेकर पर्यावरण मंत्रालय ने यह वर्चुअल मीटिंग की। इस मीटिंग में वायु प्रदूषण और पराली जलाने से हवा दूषित होने के मुद्दों पर चर्चा हुई। मीटिंग में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि 2016 के मुकाबले 2019 में साफ हवा वाले दिनों में इजाफा हुआ है यानि कि 2019 में Good air days ज्यादा थे।

 

जावड़ेकर ने बताया कि साल 2019 में Good air days की संख्या 182 थी जबकि 2016 में 108 थी। वहीं खराब दिन 2016 में 246 थे जो 2019 में घटकर 183 हो गए। इसके साथ ही जावड़ेकर ने दिल्ली सरकार को 13 हॉटस्पॉट्स मायापुरी, बवाना, नरेला, मुंडका, पंजाबी बाग, आर.के. पुरम, रोहिणी, विवेक विहार, आनंद विहार, जहांगीरपुरी, द्वारका आदि और हरियाणा सरकार को सोनीपत, गुरुग्राम, फरीदाबाद, झज्जर आदि पर काम करने के लिए सुझाव दिए गए हैं। इस मीटिंग में दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के पर्यावरण मंत्री और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, डीडीए एवं एनडीएमसी के अधिकारी शामिल हुए। जावड़ेकर ने बैठक के बाद बताया कि ICAR के डिकम्पोजर कैप्सूल का इस साल पांचों राज्यों में परीक्षण किया जाएगा। यदि परिणाम उत्साहवर्द्धक रहे तो अगले साल से बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल शुरू किया जाएगा। इस कैप्सूल के रसायन से पराली और फसल कटाई के बाद बचे अन्य जैविक अपशिष्टों को खाद में बदला जा सकता है।

 

पिछले कुछ वर्षों से दिल्ली-एनसीआर को हर साल सर्दी के मौसम में स्मॉग की समस्या का सामना करना पड़ता है। इस स्मॉग के कई कारक हैं। इनमें मौसमीय कारक, निर्माण कार्यों के दौरान बनने वाली धूल और वाहनों से निकलने वाले धुएं के अलावा आसपास के राज्यों में किसानों द्वारा फसल कटाई के बाद पराली को खेत में जलाने से उठने वाला धुआं एक बड़ा कारण है। बता दें कि हर साल नवंबर-दिसंबर महीने के आस-पास पंजाब, हरियाणा समेत कई राज्यों में पराली जलाए जाने के कारण वायु प्रदूषण काफी बढ़ जाता है। दिल्ली का AQI भी बेहद खरीब स्थिति में पहुंच जाता है। 

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