Edited By Anil dev,Updated: 09 May, 2018 04:54 PM
चुनाव में मंदिर मुद्दे को लेकर भले ही उत्तर प्रदेश बदनाम है लेकिन असली टेम्पल पॉलिटिक्स तो जनाब कर्नाटक में हो रही है। आपने प्रधानमंत्री और 2019 के स्वघोषित प्रधानमंत्री के मंदिर दर्शन कार्यक्रम तो देखे ही होंगे लेकिन एक दिलचस्प बात यह है कि...
नेशनल डेस्क (संजीव शर्मा): चुनाव में मंदिर मुद्दे को लेकर भले ही उत्तर प्रदेश बदनाम है लेकिन असली टेम्पल पॉलिटिक्स तो जनाब कर्नाटक में हो रही है। आपने प्रधानमंत्री और 2019 के स्वघोषित प्रधानमंत्री के मंदिर दर्शन कार्यक्रम तो देखे ही होंगे लेकिन एक दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी समर्थकों ने चुनाव में जीत हासिल होने पर तुलसी के एक लाख पौधे चढाने का संकल्प लिया है। दरअसल कर्नाटक के उडप्पी में एक 800 साल पुराण कृष्ण मंदिर है। मान्यता है कि यहां तुलसी का पौधा चढ़ाने से मनोकामना पूर्ण होती है। मोदी भी प्रचार के दौरान इस मंदिर में गए थे। उसी समय एक बीजेपी समर्थक ने उनके नाम से मंदिर में एक लाख तुलसी पौधे चढ़ाने की मन्नत मांगी। मन्नत मांगने वाले का नाम केश्वाचार्य है। उसके बाद कुछ अन्य मोदी भक्तों ने भी यह काम शुरू कर दिया। आलम यह है कि मंदिर से सटे बाज़ार में तुलसी के पौधों की जबरदस्त बिक्री हो रही है।
कर्नाटक का रोचक गणित
- कर्नाटक में 12 मई को विधानसभा चुनाव के लिए कुल 224 सीटों पर मतदान होना है।नतीजे 15 मई को आएंगे। कर्नाटक में 4 करोड़ 96 लाख वोटर्स हैं। इनमे से 2 करोड़ 51 लाख पुरुष और 2 करोड़ 45 लाख महिलाएं हैं। इनके मताधिकार के अधिकार को संपन्न कराने के लिए 56 हज़ार पोलिंग बूथ बनाए गए हैं।
- चुनाव आयोग ने राज्य में 83 हज़ार ईवीएम तैयार रखी हैं। इनमे स्टैंडबाई ईवीएम भी शामिल हैं। सभी ईवीएम VVPAT से जुडी होंगी।
- राज्य में कुल 30 जिले हैं जिनमे 270 शहर और 29406 गांव हैं।
- मतदाता संख्या के हिसाब से सबसे छोटी विधानसभा सीट श्रृंगेरी है। श्रृंगेरी विधानसभा सीट पर महज एक लाख साठ हजार मतदाता हैं।
- जगद्गुरु शंकराचार्य ने पहली पीठ की स्थापना श्रृंगेरी में ही की थी। क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे छोटी विधानसभा सीट हलयाल है।
- कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी विधानसभा सीट बेंगलुरू दक्षिण सीट है। इस सीट पर तकरीबन पांच लाख 58 हजार मतदाता हैं।यह क्षेत्रफल के लिहाज़ से भी सबसे बड़ी सीट है। पूरे कर्नाटक राज्य को प्रशासनिक और भूगोलिक आधार पर बैंगलुरू, बेलागावी, मैसूरू और कालाबुर्गी के चार भागों में बांटकर देखा जाता है।