Edited By Anil dev,Updated: 08 May, 2019 11:07 AM
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का नाम आमतौर पर ‘जय जवान, जय किसान’ के नारे को लेकर याद किया जाता है लेकिन उन्हीं के शासनकाल दौरान भारत ने पाकिस्तान को 1965 की जंग में परास्त किया था और भारत ने रणनीतिक दृष्टि से अहम पाकिस्तान के हाजी पीर पास...
इलैक्शन डैस्क: पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का नाम आमतौर पर ‘जय जवान, जय किसान’ के नारे को लेकर याद किया जाता है लेकिन उन्हीं के शासनकाल दौरान भारत ने पाकिस्तान को 1965 की जंग में परास्त किया था और भारत ने रणनीतिक दृष्टि से अहम पाकिस्तान के हाजी पीर पास पर कब्जा कर लिया था लेकिन ताशकंद में 10 जनवरी, 1966 को पाकिस्तान के साथ हुए समझौते तहत भारत ने यह इलाका पाकिस्तान को वापस कर दिया। हालांकि भारत को इस जंग दौरान काफी जानी-माली नुक्सान हुआ था और भारत के करीब 2862 सैनिक इस युद्ध में शहीद हो गए थे।
भारत ने पाकिस्तान के कुल 1920 वर्ग किलोमीटर के दायरे में कब्जा कर लिया था लेकिन सोवियत संघ के दबाव में भारत ने पाकिस्तान को जीता हुआ इलाका वापस कर दिया। उस समय दोनों देशों में युद्ध विराम के लिए सोवियत संघ ने मध्यस्थता की थी और भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति एम.ए. खान को ताशकंद बुलाया था। इस समझौते के एक दिन बाद ही लाल बहादुर शास्त्री की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी।
सैन्य जानकारों अनुसार उस समय पाकिस्तान को हाजी पीर पास का इलाका वापस करना रणनीतिक गलती थी क्योंकि पाकिस्तान आज भी भारत में आतंकियों की घुसपैठ के लिए इसी रास्ते का इस्तेमाल करता है। यह पीर पास पुंछ और उरी सैक्टर को आपस में जोड़ता है इसके चलते ही दोनों सैक्टर की दूरी 15 किलोमीटर तक कम हो जाती है। भारत को इस समझौते दौरान पाकिस्तान से लिखित आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला और जीती जंग भी हमारे लिए फायदेमंद साबित नहीं हुई।