Edited By Anil dev,Updated: 08 Feb, 2020 07:54 AM
लोकसभा की कार्रवाई मंगलवार को जब 11 बजे शुरू हुई तो कुछ अभूतपूर्व घटित हुआ। विपक्ष सत्ताधारी दल के सांसदों के विवादित बयानों पर विरोध कर रहा था। अध्यक्ष ओम बिड़ला विरोध को नजरअंदाज करते हुए प्रश्रकाल की ओर आगे बढ़े। इस बीच विपक्षी सदस्यों ने...
नई दिल्ली: लोकसभा की कार्रवाई मंगलवार को जब 11 बजे शुरू हुई तो कुछ अभूतपूर्व घटित हुआ। विपक्ष सत्ताधारी दल के सांसदों के विवादित बयानों पर विरोध कर रहा था। अध्यक्ष ओम बिड़ला विरोध को नजरअंदाज करते हुए प्रश्रकाल की ओर आगे बढ़े। इस बीच विपक्षी सदस्यों ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एन.आर.सी.) से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्र से पहले शोर-शराबा जारी रखा। तभी अध्यक्ष ने अचानक सदन को स्थगित कर दिया। यह काफी दुर्लभ था क्योंकि अध्यक्ष ने पहले कभी भी सदन को स्थगित नहीं किया था। पिछले समय में ओम बिड़ला शोर-शराबे के दौरान भी सदन की कार्रवाई संचालित करते रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह अग्रिम पंक्ति में बैठे हुए थे तथा जिनका प्रश्न लिस्ट किया गया था वह टी.आर.एस. सांसद एन. नागेश्वर राव भी उपस्थित थे। लेकिन उन्होंने कुछ ही मिनटों में सदन स्थगित कर दिया।
इस बात से हर कोई हैरान था क्योंकि सत्ताधारी दल इससे पहले अपने हिसाब से सदन को चलाता रहा है जहां पर उसका काफी बहुमत है और विपक्षी सदस्यों की संख्या कम होने के कारण उनकी आवाज अक्सर दब जाती है लेकिन मंगलवार को अध्यक्ष ने अचानक सदन को स्थगित कर दिया। कारण! आंतरिक सूत्रों का कहना है कि सदन को विपक्ष के शोर-शराबे के कारण स्थगित नहीं किया गया बल्कि इसका कारण यह था कि सरकार ऐसे समय में लोकसभा में एन.आर.सी. पर चर्चा नहीं करना चाहती थी जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार चल रहा था। सत्ताधारी दल एन.आर.सी. पर कोई विवाद नहीं चाहता था और इसलिए उसने शोर-शराबा जारी रहने दिया और सदन को स्थगित कर दिया।
खास बात यह है कि प्रश्र का लिखित उत्तर सदन के पटल पर रखा गया है जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि ‘‘अभी तक सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एन.आर.सी.) को तैयार करने के बारे में कोई फैसला नहीं लिया है।’’ यह जवाब प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कुछ हफ्ते पहले कही गई उस बात के अनुरूप ही था कि सरकार ने अभी तक संसद में एन.आर.सी. पर चर्चा तक नहीं की है। मोदी ने कहा था कि एन.आर.सी. को लाने का प्रश्र ही कहां है। यह शाह द्वारा संसद के दोनों सदनों में शीतकालीन सत्र के दौरान कही गई उस बात के विपरीत था कि एन.आर.सी. पूरे देश भर में लागू किया जाएगा लेकिन अमित शाह ने इसके बाद कभी भी एन.आर.सी. पर आगामी चर्चा नहीं चाही जबकि शाहीन बाग इत्यादि मामलों पर ध्यान केन्द्रित है।