Edited By Anil dev,Updated: 15 Jun, 2019 11:04 AM
लोकसभा चुनाव के दौरान ऐतिहासिक जीत हासिल करने के बाद उत्साहित भाजपा ने अपने सहयोगियों को आंखें दिखानी शुरू कर दी हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल के गठन को लेकर जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के साथ खींचतान जगजाहिर होने के बाद से अब तक के घटनाक्रम को देखते हुए...
लुधियाना(हितेश): लोकसभा चुनाव के दौरान ऐतिहासिक जीत हासिल करने के बाद उत्साहित भाजपा ने अपने सहयोगियों को आंखें दिखानी शुरू कर दी हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल के गठन को लेकर जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के साथ खींचतान जगजाहिर होने के बाद से अब तक के घटनाक्रम को देखते हुए सियासी गलियारों में ये कयास लगाए जा रहे हैं कि बिहार में किसी भी समय मोदी-नीतीश का ब्रेकअप हो सकता है। यहां बताना उचित होगा कि भाजपा ने चुनाव के दौरान गठजोड़ के तहत बिहार में कांग्रेस व लालू प्रसाद यादव सहित तमाम विरोधियों का सूपड़ा साफ कर दिया है, जिसमें जदयू की 16 सीटें भी शामिल हैं लेकिन उन्हें 6 सीटों वाली लोक जनशक्ति पार्टी के बराबर मोदी मंत्रिमंडल में सिर्फ एक सीट देने की पेशकश की गई है।
इस मामले को लेकर नाराज नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार में शामिल होने से साफ इंकार कर दिया। कड़वाहट यहीं खत्म नहीं हुई, बल्कि जदयू की कार्यकारिणी की बैठक में बिहार के बाहर भाजपा से अलग होकर चुनाव लडऩे का फैसला ले लिया गया है। इससे भी बढ़कर एक-दूसरे की इफतार पाॢटयों से भाजपा व जदयू नेताओं ने दूरी बनाए रखी और बिहार मंत्रिमंडल के विस्तार के दौरान भी यही हालात देखने को मिले जब नीतीश ने भाजपा को शामिल किए बिना ही अपनी पार्टी के 8 नए मंत्री बना लिए। बताया जा रहा है कि देशभर में स्थिति मजबूत होने का हवाला देते हुए बिहार भाजपा के नेताओं द्वारा हाईकमान पर अकेले चुनाव लडऩे का दबाव बनाया जा रहा है। ऐसे में अगर आने वाले दिनों के दौरान बिहार में भाजपा व जदयू के रिश्तों में दरार आने की खबर सुनने को मिले तो कोई हैरानी वाली बात नहीं होगी।
यह टिप्पणी कर चुके हैं नीतीश कुमार
लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर नीतीश कुमार भाजपा का नाम लिए बिना यह टिप्पणी कर चुके हैं कि कोई यह न समझे कि जीत उनकी है। कड़ी धूप में लाइन में लगकर कौन लोग वोट दे रहे थे, यह सबने देखा है इसलिए किसी को भ्रम नहीं होना चाहिए कि यह जीत उनकी है, यह बिहार की जनता की जीत है।
गिरिराज सिंह के ट्वीट से मिल चुके हैं संकेत
बिहार में भाजपा व जदयू के संबंध खराब होने के संकेत केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के ट्वीट से मिल चुके हैं, जिसमें उनके द्वारा नीतीश कुमार की इफतार पार्टी पर टिप्पणी की गई थी। हालांकि बाद में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने गिरिराज सिंह को फटकार लगाते हुए मामले को संभाल लिया था।
लम्बी है खट्टे/मीठे रिश्तों की कहानी
मोदी व नीतीश कुमार के खट्टे/मीठे रिश्तों की कहानी काफी लम्बी है, जिसके तहत गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए मोदी के खिलाफ नीतीश द्वारा काफी जहर उगला जाता रहा है। यहां तक कि 2013 के दौरान बिहार में गठजोड़ तोडऩे के बाद विपक्ष की तरफ से नीतीश को प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में पेश किया जाने लगा है। हालांकि 2014 में मोदी पी.एम. बन गए और 2015 में नीतीश ने लालू यादव के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाई लेकिन 2017 के बाद वह फिर से भाजपा के साथ हैं। इसी का हवाला देते हुए तेजस्वी यादव व बिहार के दूसरे विरोधी नेता नीतीश को पलटू राम कहकर पुकारते हैं।
अब तक के घटनाक्रम पर एक नजर
- > मोदी मंत्रिमंडल में जदयू को सिर्फ एक सीट देने की पेशकश की गई।
- > नीतीश ने अब व कभी भी केंद्र सरकार में शामिल होने से किया इंकार।
- > जदयू की कार्यकारिणी में बिहार के बाहर भाजपा से अलग होकर चुनाव लडऩे का फैसला।
- > एक-दूसरे की इफतार पाॢटयों से भाजपा व जदयू नेताओं ने दूरी बनाए रखी।
- > नीतीश ने भाजपा को शामिल किए बिना ही अपनी पार्टी के 8 नए मंत्री बना लिए।