Edited By Yaspal,Updated: 12 Jul, 2019 06:48 PM
मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के पहले सत्र में ही ज्यादा से ज्यादा विधायी कामकाज करना चाहती है, और इसी वजह से लोकसभा को देर रात बैठकर विधेयकों पर चर्चा करनी पड़ रही है। गुरुवार रात भी लोकसभा में कामकाज का...
नेशनल डेस्कः मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के पहले सत्र में ही ज्यादा से ज्यादा विधायी कामकाज करना चाहती है, और इसी वजह से लोकसभा को देर रात बैठकर विधेयकों पर चर्चा करनी पड़ रही है। गुरुवार रात भी लोकसभा में कामकाज का रिकॉर्ड बना, जब रेलवे मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा के लिए 12 घंटे से ज्यादा वक्त तक सदन की कार्यवाही चली।
18 वर्षों में पहली बार इतने लंबे समय तक चला सदन
इस मुद्दे पर आधी रात से दो मिनट पहले चर्चा को खत्म कर दिया गया। संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने शुक्रवार को कहा कि चर्चा आधी रात तक चली, क्योंकि हर सदस्य इसका हिस्सा बनना चाहता था। जोशी ने कहा कि लगभग 18 वर्षों में यह पहली बार था, जब निचले सदन की कार्यवाही इतने लंबे समय तक चली।
उन्होंने कहा कि 100 से अधिक सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया और यह एक रिकॉर्ड था। बहस के दौरान, विपक्ष ने आरोप लगाया कि केंद्र रेलवे को विकसित करने के बजाए उसकी संपत्ति को बेच रही है, जबकि सरकार ने तर्क दिया कि यूपीए सरकार के समय अपेक्षाकृत पूंजीगत व्यय दोगुना हो गया था।
विपक्ष ने लगाया निजीकरण का आरोप
वहीं, कांग्रेस, टीएमसी, एनसीपी, डीएमके और अन्य विपक्षी दलों ने रेलवे पर निजीकरण के प्रयास का आरोप लगाया। इस दौरान बुलेट ट्रेन भी विपक्ष के हमले से बच नहीं पाई और इसे भी आलोचना झेलनी पड़ी। रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगदी ने हस्तक्षेप करते हुए सरकार का बचाव किया और लोकसभा को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बहुत सारे विकास कार्य हुए हैं।
सदन को चर्चा के लिए देर रात तक चलाने और गतिरोध खत्म करने में स्पीकर ओम बिड़ला की भी अहम भूमिका रही है। वह लगातार नए सदस्यों को सदन में चर्चा के दौरान बोलने का मौका दे रहे हैं साथ ही विपक्षी दलों के नेताओं की शिकायतों की सुनवाई भी कर रहे हैं। इससे सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच समन्वय कायम है और सदन तार्किक बहस करने में सफल रहा है।
राज्यसभा में भी हुआ देर रात तक काम
राज्यसभा में भी गुरुवार को बजट पर रात 9 बजे तक चर्चा हुई थी। उच्च सदन के दो दिन कर्नाटक के सियासी संकट की वजह से हुए हंगामे के कारण बगैर चर्चा के निकल गए जिसके बाद सभापति की पहल से सदन में देर रात तक चर्चा हो पाई। आम तौर पर संसद की कार्यवाही सुबह 11 बजे से शुरू होकर शाम 6 बजे तक चलती है लेकिन विशेष परिस्थितियों में कार्यवाही को सदस्यों की सहमति के बाद बढ़ाया जाता है।