Edited By Anil dev,Updated: 11 Jul, 2019 03:48 PM
लोकसभा चुनाव (Loksabha election) में दूसरी बार बुरी तरह से हारी देश की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी पार्टी चारोतरफ से संकट में घिर चुकी है। एक ओर कर्नाटक (Karnatak) में कांग्रेस के विधायकों ने बगावत कर दी है
नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव (Loksabha election) में दूसरी बार बुरी तरह से हारी देश की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी पार्टी चारोतरफ से संकट में घिर चुकी है। एक ओर कर्नाटक (Karnatak) में कांग्रेस के विधायकों ने बगावत कर दी है तो वहीं दूसरी ओर गोवा में पार्टी के विधायकों ने बीजेपी (BJP) का दामन थाम लिया है। ये कांग्रेस को लेकर उसके नेताओं का अविश्वास है या बीजेपी के कांग्रेस मुक्त अभियान के तहत कोई साजिश? ये मुद्दा आज कल देश में चर्चा का विषय बना हुआ है।
14 महीने पहले बनी कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार के 18 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। जिनमें से अधिकतर बीजेपी के संपर्क में बताए जा रहे हैं। वहीं गोवा में जहां पहले से ही बीजेपी की सरकार है वहां पर भी बुधवार को कांग्रेस के 15 में से 10 विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। कर्नाटक के ‘नाटक’ और गोवा के दल-बदल से कुछ समय पहले तेलंगाना में भी कांग्रेस पार्टी को एक बड़ा झटका देते हुए राज्य में पार्टी के 12 विधायकों ने तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) का दामन थाम लिया था। तेलंगाना में कांग्रेस के 18 विधायकों में से 12 के टीआरएस विधायक के रूप में मान्यता लेने के बाद वहां उसने अपना मुख्य विपक्षी दल का स्थान भी खो दिया।
वहीं सूत्रों की मानें तो मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार पर बीजेपी सेंध लगाने की फिराक में है। इस मामले में बहुजन समाज पार्टी की विधायक रामबाई ने दावा किया था कांग्रेस से समर्थन वापस लेने के लिए बीजेपी ने उन्हें मंत्री पद और करोड़ों रुपये का ऑफर दिया था। पंजाब में सरकार होने के बाद भी कांग्रेस की गुटबाजी हमेशा सुर्रखियों में बनी रहती है। नवजोत सिंह सिद्धू और सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच टकरार की खबरें सुर्खियां बटोर चुकी हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तो सार्वजनिक तौर पर ये तक कह दिया था कि सिद्धू उनकी जगह लेना चाहते हैं और सीएम बनना चाहते हैं। जिससे पंजाब में पार्टी की अंतरकलह सबके सामने आ गई थी।
कांग्रेस की स्थिति इतनी दयनीय हो गई है कि अब उसके पास कोई राष्ट्रीय नेतृत्व तक नहीं है। राहुल इस्तीफा दे चुके हैं और पार्टी अध्यक्ष चुनने में कितना वक्त लगेगा कुछ कहा नहीं जा सकता। वहीं जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है वहां भी खतरा मंडरा रहा है। ये कांग्रेस का अब तक का सबसे बुरा दौर कहा जा सकता है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती के अवसर पर शुरु हुआ बीजेपी का सदस्यता अभियान रंग लाता दिख रहा है। बंगाल में लोकसभा चुनाव के समय से ही टीएमसी और बीजेपी के बीच जो जंग छिड़ी वो अब तक जारी है। वहीं अब लगातार टीएमसी के नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। बीजेपी ने मोदी और राष्ट्रवाद के नाम पर पूरे देश में अपनी पैठ जमा ली है। वहीं वर्तमान में जिस प्रकार से कांग्रेस बिखर रही है उसे देख कर यही अंदेशा लगाया जा रहा है कि कहीं बीजेपी का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना सच तो नहीं हो जएगा?
14 महीने पहले बनी कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार के 18 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। जिनमें से अधिकतर बीजेपी के संपर्क में बताए जा रहे हैं। वहीं गोवा में जहां पहले से ही बीजेपी की सरकार है वहां पर भी बुधवार को कांग्रेस के 15 में से 10 विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। कर्नाटक के ‘नाटक’ और गोवा के दल-बदल से कुछ समय पहले तेलंगाना में भी कांग्रेस पार्टी को एक बड़ा झटका देते हुए राज्य में पार्टी के 12 विधायकों ने तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) का दामन थाम लिया था। तेलंगाना में कांग्रेस के 18 विधायकों में से 12 के टीआरएस विधायक के रूप में मान्यता लेने के बाद वहां उसने अपना मुख्य विपक्षी दल का स्थान भी खो दिया।
वहीं सूत्रों की मानें तो मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार पर बीजेपी सेंध लगाने की फिराक में है। इस मामले में बहुजन समाज पार्टी की विधायक रामबाई ने दावा किया था कांग्रेस से समर्थन वापस लेने के लिए बीजेपी ने उन्हें मंत्री पद और करोड़ों रुपये का ऑफर दिया था।
पंजाब में सरकार होने के बाद भी कांग्रेस की गुटबाजी हमेशा सुर्रखियों में बनी रहती है। नवजोत सिंह सिद्धू और सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच टकरार की खबरें सुर्खियां बटोर चुकी हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तो सार्वजनिक तौर पर ये तक कह दिया था कि सिद्धू उनकी जगह लेना चाहते हैं और सीएम बनना चाहते हैं। जिससे पंजाब में पार्टी की अंतरकलह सबके सामने आ गई थी।
कांग्रेस की स्थिति इतनी दयनीय हो गई है कि अब उसके पास कोई राष्ट्रीय नेतृत्व तक नहीं है। राहुल इस्तीफा दे चुके हैं और पार्टी अध्यक्ष चुनने में कितना वक्त लगेगा कुछ कहा नहीं जा सकता। वहीं जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है वहां भी खतरा मंडरा रहा है। ये कांग्रेस का अब तक का सबसे बुरा दौर कहा जा सकता है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती के अवसर पर शुरु हुआ बीजेपी का सदस्यता अभियान रंग लाता दिख रहा है। बंगाल में लोकसभा चुनाव के समय से ही टीएमसी और बीजेपी के बीच जो जंग छिड़ी वो अब तक जारी है। वहीं अब लगातार टीएमसी के नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं।
बीजेपी ने मोदी और राष्ट्रवाद के नाम पर पूरे देश में अपनी पैठ जमा ली है। वहीं वर्तमान में जिस प्रकार से कांग्रेस बिखर रही है उसे देख कर यही अंदेशा लगाया जा रहा है कि कहीं बीजेपी का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना सच तो नहीं हो जएगा?