Edited By vasudha,Updated: 01 Sep, 2019 01:50 PM
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि इकॉनमी की हालत काफी चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि पिछली तिमाही में विकास दर 5% यह बताता है कि स्लोडाउन चल रहा है...
नेशनल डेस्क: अर्थव्यवस्था की हालत को ‘बहुत चिंताजनक' बताते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को सरकार से अनुरोध किया कि वह ‘बदले की राजनीति' को छोड़े और अर्थव्यवस्था को मानव-रचित संकट से बाहर निकलने के लिए सही सोच-समझ वाले लोगों से संपर्क करे। उन्होंने नोटबंदी और जीएसटी में जल्दबाजी को मानव रचित संकट बताते हुए कहा कि यह आर्थिक नरमी मोदी सरकार के चौतरफा कुप्रबंधन की वजह से है।
पूर्व प्रधानमंत्री ने एक बयान में कहा कि वर्तमान में अर्थव्यवस्था की हालत बहुत चिंताजनक है। पिछली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि मात्र पांच प्रतिशत तक सीमित रहना नरमी के लम्बे समय तक बने रहने का संकेत है। भारत में तेजी से वृद्धि की संभावनाएं हैं लेकिन मोदी सरकार के चौतरफा कुप्रबंधन के कारण यह नरमी आयी है। सिंह ने कहा कि देश के युवा वर्ग, किसान, खेतीहर मजदूर, उद्यमी और वंचित तबके को बेहतर सुविधाएं मिलनी चाहिए। भारत इस रास्ते और आगे नहीं बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि वह बदले की राजनीति बंद करें और अर्थव्यवस्था को इस मानवरचित संकट से बाहर निकालने के लिए सही सोच-समझ के लोगों से सलाह ले।
कांग्रेस नेता ने कहा कि खास तौर से विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि दर का केवल 0.6 प्रतिशत रहना बिशेष रूप से चिंताजनक है। उन्होंने आरोप लगाया कि संस्थाओं को बर्बाद किया जा रहा है और उनकी स्वायत्तता छीनी जा रही है। भारतीय रिजर्व बैंक से सरकार द्वारा 1.76 लाख करोड़ रुपये लिए जाने पर मनमोहन सिंह ने कहा कि इतनी बड़ी राशि सरकार को देने के बाद यह किसी भी मुश्किल से निकल पाने की आरबीआई की क्षमता की परीक्षा भी होगी। यह रेखांकित करते हुए कि घरेलू मांग में नरमी है और खपत का दर 18 महीने के सबसे निचले स्तर पर है, वहीं जीडीपी का विकास दर 15 साल में सबसे कम है, सिंह ने कहा, ‘‘कर से प्राप्त होने वाले राजस्व में वृद्धि अभी भी बहुत कम है। कर संग्रह में उछाल की जो उम्मीद थी वह नजर नहीं आ रही है, कारोबारी, चाहे छोटे हों या बड़े... उन्हें परेशान किया जा रहा है, कर आतंकवाद में कमी नहीं आयी है।
सिंह ने कहा कि निवेशकों का उत्साह डांवाडोल है। इस आधार पर तो आर्थिक नरमी से उबरना संभव नहीं लगता।'' बिना रोजगार सृजन वाले वृद्धि के लिए मोदी सरकार की नीतियों को दोषी बताते हुए पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि सिर्फ ऑटोमोबाइल सेक्टर में साढ़े तीन लाख से ज्यादा नौकरियां गयी हैं। असंगठित क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर नौकरियां गयी हैं और इससे सबसे ज्यादा नुकसान कमजोर तबके के लोगों को हुआ है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण भारत की हालत बहुत खराब है क्योंकि किसान को फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है और ग्रामीण क्षेत्र की आय घटी है। मनमोहन सिंह का कहना है कि मोदी सरकार मुद्रास्फीति के जिस कम दर का प्रचार करती रहती है उसका सबसे प्रतिकूल असर किसानों और उनकी आय पर पड़ रहा है।