ऑफ द रिकॉर्डः राज्यपाल पद पाने के इंतजार में बैठे हैं भाजपा के कई नेता!

Edited By Pardeep,Updated: 20 Aug, 2020 03:07 AM

many bjp leaders are waiting to get the post of governor

मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर का उप-राज्यपाल बनाए जाने तथा तथागत रॉय का अचानक मेघालय के राज्यपाल का पद छोड़ने से सत्ताधारी भाजपा में राज्यपालों के बदलाव को लेकर चर्चाओं ने

नई दिल्लीः मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर का उप-राज्यपाल बनाए जाने तथा तथागत रॉय का अचानक मेघालय के राज्यपाल का पद छोड़ने से सत्ताधारी भाजपा में राज्यपालों के बदलाव को लेकर चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। गत माह मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन की मृत्यु के बाद से कई इच्छुक नेता राज्यपाल पद पाने का इंतजार कर रहे हैं। फिलहाल उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को मध्य प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त पदभार सौंपा गया है। 

मेघालय के राज्यपाल का पद छोड़ने वाले तथागत रॉय का कहना है कि वह पश्चिम बंगाल की राजनीति में शामिल होंगे जबकि पश्चिम बंगाल भाजपा में वैसे ही नेताओं की कोई कमी नहीं है, ऐसे में तथागत रॉय की भूमिका बहुत सीमित रहने वाली है। एक दिलचस्प घटनाक्रम में, झारखंड में द्रोपदी मुर्मू तथा कर्नाटक में वजूभाई वाला का कार्यकाल भी समाप्त हो गया है। ये दोनों राज्यपाल नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में नियुक्त किए गए थे तथा राष्ट्रपति ने उनकी कार्यावधि बढ़ाने का कोई औपचारिक आदेश जारी नहीं किया है। 

उधर, गोवा को भी एक राज्यपाल चाहिए क्योंकि वहां के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को मेघालय भेज दिया गया है। इधर, पुड्डुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी तथा दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल का तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया है।

पता चला है कि किरण बेदी दिल्ली में नई नियुक्ति के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं। पहले ऐसी रिपोर्टें थीं कि उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय (पी.एम.ओ.) में कुछ विशेष काम सौंपा जा सकता है परंतु उन रिपोर्टों का खंडन कर दिया गया। जहां तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लोगों को चुनने का तौर-तरीका है तो वह ज्यादा तेजतर्रार व विवादास्पद लोगों को अपने आसपास नहीं रखते। महत्वपूर्ण पद पर किसी को लाने से पहले वह काफी सोच-विचार करते हैं। 2014 से मोदी द्वारा चुने गए लोगों की सूची पर नजर डालें तो यह बात समझ में आ जाएगी। 

मोदी के करीबी का कहना है कि ऐसी नियुक्तियों में वरिष्ठ सहयोगियों का प्रभाव डालना बीते जमाने की बात हो गई है। अनिल बैजल के बारे में पी.एम.ओ. दिल्ली में कोविड संकट खत्म होने के बाद ही निर्णय लेगा। वैसे भी अनिल बैजल केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का विश्वास खो चुके हैं, ऐसा सूत्रों का कहना है।  

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