मिजोरम चुनाव: जानें, उस ब्रु समुदाय के बारे में जो शरणार्थी होने के बाद भी निभाता है अहम भूमिका

Edited By Anil dev,Updated: 27 Nov, 2018 05:41 PM

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मिजोरम में विधानसभा चुनाव कि लिए मतदान होने वाला है। राज्य की 40 सीटों पर 209 कैंडिडेट मैदान में हैं। इनमें सत्तधारी कांग्रेस विपक्षी पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट के सबसे ज्यादा उम्मीदवार 40-40, बीजेपी के 39, न्शनल पीपुल्स पार्टी के 9 और नेशनलिस्ट...

नई दिल्लीः मिजोरम में विधानसभा चुनाव कि लिए मतदान होने वाला है। राज्य की 40 सीटों पर 209 कैंडिडेट मैदान में हैं। इनमें सत्तधारी कांग्रेस विपक्षी पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट के सबसे ज्यादा उम्मीदवार 40-40, बीजेपी के 39, न्शनल पीपुल्स पार्टी के 9 और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के 5 प्रत्याशी हैं। 

2013 के मुकाबले इस बार ज्यादा उम्मीदवार 
बुधवार को होने वाले विधानसभा चुनाव में कुल 209 उम्मीदवार मैदान में हैं, जो 2013 के मुकाबले 67 ज्यादा हैं। 209 उम्मीदवारों में से 15 महिलाएं हैं। 2013 में केवल छह महिला उम्मीदवार मैदान में थीं, जिसमें से किसी ने भी जीत हासिल नहीं की थी। पिछले चुनाव की तरह इस बार भी महिला मतदाता, पुरुषों के मुकाबले ज्यादा हैं। कुल 768,181 मतदाताओं में 393,685 महिलाएं और 374, 496 पुरुष अपने मतों का प्रयोग करेंगे। चलिए ये तो रही राज्य की बात अब हम बताएंगे ऐसे समुदाय के बारे में जिसके रुख से पता चलेगा की राज्य में किसकी सरकार बनेगी। 

ब्रु जनजातीय
त्रिपुरा के शरणार्थी शिविरों में पिछले 21 साल से ब्रू जनजातीय के लोग रह रहे हैं। आखिकार ये शर्णार्थी कैसे राज्य की सत्ता के लिए जरुरी है। चलिए जानते है आखिर ये ब्रू है कौन ब्रू पूर्वोत्तर में बसने वाला एक जनजाति समूह है। मिजोरम के ज्यादातर ब्रू मामित और कोलासिब जिलों में रहते हैं। तकरीबन एक दर्जन उपजातियां ब्रु के अंदर आती हैं। मिजोरम में ब्रू शेड्यूल्ड ट्राइब्स का एक समूह माना जाता है और त्रिपुरा में एक अलग जाति है। ब्रू लोग जिस राज्य में बसते हैं, वहां की भाषाएं भी बोल लेते हैं। हालांकि कुछ ब्रू  तो अंग्रेजी तक बोल लेते हैं। 

क्यों छोड़ने पड़ा था अपना घर 
पूर्वोत्तर में लोग अपनी जातीय पहचान जैसे पहनावे, खान-पान और भाषा को लेकिर बहुत भावुक हैं। जातीय पहचान को मुद्दा बनाकर ही कभी अलग राज्य तो कभी अलग देश की मांग हुई। तो मिजो उग्रवादियों ने भी देश से अलग होने की कोशिश की। जब ऐसा होने की संभावना दूर नजर आने लगी तो मिज़ो उग्रवाद ने मिजोरम पर मिजो जनजातियों का कब्ज़ा बनाए रखने के मकसद से हर उस जनजाति को निशाने पर ले लिया जिसे वो बाहरी समझते थे। 21 अक्टूबर, 1997 को ब्रू उग्रवादियों ने डम्पा टाइगर रिज़र्व में एक मिजो फॉरेस्ट अधिकारी की हत्या कर दी थी। इसके बाद इलाके में ब्रू लोगों के खिलाफ जमकर हिंसा हुई। हालांकि ब्रू का दावा है कि इस दौरान 1400 घर जलाए गए। ब्रू लोग जैसे तैसे जान बचाकर भागे। तब से ये 6 रिलीफ कैंप्स में रह रहे हैं। ये कैंप त्रिपुरा में उत्तर त्रिपुरा जिले के कंचनपुर और पानीसागर सब-डिविजन में हैं।

क्यों अहम है ब्रु जनजातीय 
40 सीटों वाली मिजोरम विधानसभा में 9 विधानसभा क्षेत्र ऐसे है जहां ब्रू शरणार्थी अहम भूमिका निभाते है। इसमें भी इस समुदाय की सबसे ज्यादा जनसंख्या  मामित जिले में है, मामित में तीन विधानसभा-हाच्चेक, डाम्पा और मामित शामिल हैं। इसके बाद अगर ये किसी क्षेत्र में भारी मात्रा में है तो वो है कोलासिब जिला के दो विधानसभा क्षेत्र और फिर इसके बाद नंबर आता है लुंगली जिले में ब्रू समुदाय के मतदाताओं का। यहीं कारण है बीजेपी से लेकर तमाम पार्टियां ब्रु समुदाय के सहारे राज्य की सत्ता हासिल करना  चाहती है। 

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