राफेल डील पर मोदी सरकार संसद में रखेगी CAG रिपोर्ट, कर सकती है कीमत का खुलासा: सूत्र

Edited By Seema Sharma,Updated: 30 Jan, 2019 04:33 PM

modi government can expose the price of rafale aircraft in parliament

राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर पिछले कुछ समय से छिड़े विवाद पर अब केंद्र सरकार भी अटैकर के मूड में आ गई है। विपक्ष लगातार केंद्र पर राफेल में घपलेबाजी का आरोप लगाता आ रहा है।

नेशनल डेस्कः राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर पिछले कुछ समय से छिड़े विवाद पर अब केंद्र सरकार भी अटैकर के मूड में आ गई है। विपक्ष लगातार केंद्र पर राफेल में घपलेबाजी का आरोप लगाता आ रहा है। इतना ही नहीं कांग्रेस लोकसभा चुनाव में इस मामले को मुद्दा बनाने पर भी विचार कर रही है। विपक्ष राफेल पर ज्यादा झूठ फैलाए इससे पहले ही केंद्र इस पर कड़ा जवाब देने के लिए तैयार है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मोदी सरकार राफेल से जुड़ी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट बजट सत्र में संसद के पटल पर रख सकती है।
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सूत्रों के मुताबिक कैग सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस रिपोर्ट में राफेल की कीमतों के बारे में भी बताएगी। वहीं खबर है कि कैग की फाइनल रिपोर्ट में सिर्फ तीन कॉपियों में ही राफेल की कीमत बताई जाएगी, जबकि बाकी की प्रतियों में राफेल की कीमतों से संबंधित पैराग्राफ एडिटेड यानी संशोधित होगा। कैग ने रक्षा मंत्रालय से कुछ सवाल पूछे थे, उनके जवाबों को शामिल करते हुए कैग ने फाइनल ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। कैग यह तीनों कॉपियां रक्षा मंत्रालय को देगी और जो कॉपियां संसद के पटल में रखी जाएंगी उसमें विमान की कीमत संशोधित होंगी। अगर पब्लिक अकाउंट कमेटी इसकी कीमत जानना चाहती है तो उसे रक्षा मंत्रालय से इसकी कॉपी मांगनी होगी। 
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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील में कथित गड़बड़ी की जांच को लेकर कई याचिकाएं दायर हुई थी।  जिसे खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा था कि विमान के सौदे में प्रक्रिया का सही तरीके से पालन हुआ है, लिहाजा इसमें जांच की आवश्यकता नहीं। वहीं कोर्ट ने कहा था कि कैग की रिपोर्ट को संसद की लोक लेखा समिति (पाएसी) ने जांचा भी है। कोर्ट के इस बयान पर काफी विवाद हो गया था। विपक्ष ने केंद्र पर गलत सूचना देने का आरोप लगाया था। विवाद के बाद केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में संशोधित हलफनामा सौंपा था।
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केंद्र ने कोर्ट राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर शीर्ष न्यायालय के फैसले में उस पैराग्राफ में संशोधन की मांग की है जिसमें नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) रिपोर्ट और संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के बारे में संदर्भ है। सरकार ने कहा था कि उसके नोट की अलग-अलग व्याख्या के कारण विवाद पैदा हो गया है। केंद्र ने कोर्ट को हलफनामे में बताया कि पहले सौंपे गए एफिडेविट में टाइपिंग में गलती हुई थी, जिसकी कोर्ट ने गलत व्याख्या की है।

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