मोदी सरकार ने दूसरी पीढ़ी के सुधारों को सलीके से लागू किया : जेटली

Edited By shukdev,Updated: 18 Mar, 2019 09:15 PM

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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने बेहद जरूरी दूसरी पीढ़ी के सुधारों को व्यवस्थित और सतत ढंग से लागू किया है। उन्होंने अपनी बात के समर्थन में कई तरह के ‘पांसा बदलने वाले फैसलों का भी उल्लेख किया। भाजपा के वरिष्ठ नेता...

नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने बेहद जरूरी दूसरी पीढ़ी के सुधारों को व्यवस्थित और सतत ढंग से लागू किया है। उन्होंने अपनी बात के समर्थन में कई तरह के ‘पांसा बदलने वाले फैसलों का भी उल्लेख किया। भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कराधान सुधारों, काले धन पर अंकुश लगाने के उपाय, दिवाला एवं ऋणशोधन सहायता संहिता, नोटबंदी, मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने, संघवाद को बढ़ावा देने, आयुष्मान भारत योजना बनाने, सामाजिक क्षेत्र में निवेश और बुनियादी ढांचे के विकास संबंधी निर्णयों को देश का सूरते हाल बदलने के लिए जिम्मेदार बताया।

उन्होंने कहा, पांच साल की अवधि एक राष्ट्र में जीवन की लंबी अवधि नहीं है। हालांकि, यह प्रगति के लिए अपनी दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय इतिहास में वर्ष 1991 एक महत्वपूर्ण युगांतरकारी अवसर था। जेटली ने अपनी‘एजेंडा 2019’श्रृंखला को जारी रखते हुए कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव के समय वित्तीय संकट था। आर्थिक स्थिति ने उन्हें सुधारों के लिए मजबूर किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी में कई लोग सुधारों का समर्थन नहीं करते थे। साल 1991-1993 के पहले दो वर्षों के बाद, कांग्रेस पार्टी सुधारों को लेकर माफी की मुद्रा में आ गई। उन्होंने कहा कि शायद यही कारण है कि पी.वी.नरसिम्हा राव के प्रयासों को कांग्रेस के समकालीन इतिहास में मिटाने का काम अभी भी प्रगति पर है।

जेटली ने आगे कहा कि राष्ट्रीय मोर्चा सरकार ने आंशिक रूप से प्रत्यक्ष करों को तर्कसंगत बनाया और पहली राजग सरकार ने बुनियादी ढांचे के निर्माण और विवेकपूर्ण वित्तीय प्रबंधन के बारे में महत्वपूर्ण निर्णय लिए। संप्रग सरकार 2004-2014 के बीच आर्थिक विस्तार के बजाय नारों में फंस के रह गई। जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार तब चुनी गई जब भारत पहले से ही‘पांच सबसे कमजोर अर्थव्यवस्था वाले देशों या फ्रेगाइल फाइव’का हिस्सा था और दुनिया भविष्यवाणी कर रही थी कि‘ब्रिक्स’से भारत का‘आई’हट जाएगा।

सरकार के पास कोई विकल्प नहीं था और इसे सुधारना ही पड़ा। उस समय ‘सुधारों या मिट जाओ’ की चुनौती भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने थी। जेटली ने कहा इसलिए, सरकार ने पांच साल की अवधि में व्यवस्थित रूप से और लगातार कई सुधार किए हैं, जो कि भारत के इतिहास में सुधारों की‘दूसरी पीढ़ी’के इस रूप में जानें जाएंगे जिनकी अधिक जरूरत है। जेटली ने कहा, हमारा प्रयास होगा कि भविष्य में भी इस दिशा को बनाए रखा जाए।

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