कोविड-19 के बढ़ते मामलों और टीके की कमी की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है गरीब देशों को

Edited By Updated: 17 Jun, 2021 05:51 PM

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विश्व के निर्धन देशों को कोविड-19 के मामलों में वृद्धि और टीके की कमी की दोहरी मार का सामना करना पड़ा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इन देशों के नागरिकों का टीकाकरण नहीं किया गया तो भले ही अमीर देश अपने यहां शत-प्रतिशत टीकाकरण कर लें किंतु महामारी...

इंटरनेशनल डेस्क: विश्व के निर्धन देशों को कोविड-19 के मामलों में वृद्धि और टीके की कमी की दोहरी मार का सामना करना पड़ा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इन देशों के नागरिकों का टीकाकरण नहीं किया गया तो भले ही अमीर देश अपने यहां शत-प्रतिशत टीकाकरण कर लें किंतु महामारी को मात नहीं दी जा सकती। अफ्रीका महामारी से विशेष तौर पर असुरक्षित है। यहां दुनिया की 18 प्रतिशत जनसंख्या यानी 1.3 अरब लोग रहते हैं किंतु अब तक टीके की कुल खुराक में महज दो प्रतिशत खुराक यहां मिली है। कुछ अफ्रीकी देश तो ऐसे हैं जहां पर टीकाकरण की शुरुआत तक नहीं हुई है। 

स्वास्थ्य विशेषज्ञ और दुनिया के नेता बार-बार चेतावनी दे रहे हैं कि यदि अमीर देश अपने नागरिकों का टीकाकरण कर दें तो भी महामारी को हराया नहीं जा सकता। अफ्रीका रोग नियंत्रण एवं निवारण केंद्र में कैमरून के विषाणु विशेषज्ञ जॉन न्केनगासोंग कहते हैं, ‘‘ मैं लगातार कह रहा हूं कि हम तब तक सुरक्षित नहीं हैं जब तक सभी सुरक्षित नहीं हो। हम कमजोर कड़ी से महज थोड़े मजबूत हैं। '' जिम्बाब्वे ने कोविड-18 के मामलों और मौतों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर नये सिरे से लॉकडाउन लगाया है। देश की जनसंख्या करीब 1.5 करोड़ है लेकिन अब तक टीके की केवल 17 लाख खुराक ही लगाई गई है और शहरी क्षेत्र में कमी के लिए रणनीतिक चुनौतियों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। 

जाम्बिया में भी टीकाकरण रोक दिया गया है जबकि अधिकारियों कहना है कि संक्रमण के मामलों में वृद्धि के चलते देश में ऑक्सीजन की भारी कमी है और कम गंभीर लक्षण वाले लोगों को राजधानी लुसाका के अस्पतालों से घर वापस भेजा जा रहा है। युगांडा में भी कोविड-19 के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। कंपाला के अस्पतालों में आईसीयू बिस्तर लगभग भर चुके हैं। युगांडा सरकार की चिकित्सा सलाहकार समिति की अध्यक्षा मिसाकी वेयेनगेरा ने कहा कि कुछ मरीज दूसरे मरीजों की मौत की प्रार्थना कर रहे हैं ताकि उन्हें आईसीयू में जगह मिल सके।

युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी ने इस महीने स्कूलों को बंद करने सहित नए प्रतिबंध लगाए हैं किंतु पिछले साल वह सख्त लॉकडाउन से बचते नजर आए थे। उन्होंने कहा था कि वह नहीं चाहते कि देश के विशाल असंगठित क्षेत्र में कार्यरत लोगों के जीविकोपार्जन को खतरा हो। अफ्रीका महाद्वीप में अब तक 50 लाख से अधिक लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हो चुकी है जिनमें से करीब 1,35,000 लोगों की मौत हुई है। कई लोगों को भय है कि स्थिति और खराब हो सकती है। अफ्रीका के 90 प्रतिशत देश सितंबर तक अपनी 10 प्रतिशत आबादी के टीकाकरण के लक्ष्य को पाने में असफल होते नजर आ रहे हैं।

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