लोग मर रहे हैं,सरकार वेंदांता की इकाई उत्पादन के लिए अपने हाथ में क्यों नहीं लेती: SC

Edited By Anil dev,Updated: 23 Apr, 2021 03:43 PM

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उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि आक्सीजन की कमी की वजह से लोग मर रहे हैं तो ऐेसे में तमिलनाडु सरकार 2018 से बंद पड़ी वेदांता की स्टरलाइट तांबा संयंत्र इकाई अपने हाथ में लेकर कोविड-19 मरीजों की जान बचाने के लिये आक्सीजन का उत्पादन क्यों नहीं...

नेशनल डेस्क: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि आक्सीजन की कमी की वजह से लोग मर रहे हैं तो ऐेसे में तमिलनाडु सरकार 2018 से बंद पड़ी वेदांता की स्टरलाइट तांबा संयंत्र इकाई अपने हाथ में लेकर कोविड-19 मरीजों की जान बचाने के लिये आक्सीजन का उत्पादन क्यों नहीं करती ? प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने दो टूक शब्दों में कहा, हमारी दिलचस्पी वेदांता या ए, बी, सी के चलाने में नहीं है। हमारी दिलचस्पी आक्सीजन के उत्पादन में है। किसी न किसी को कुछ न कुछ ठोस तो कहना चाहिए क्योंकि इस समय आक्सीजन की कमी की वजह से लोग मर रहे हैं।

 शीर्ष अदालत तमिलनाडु के तूतीकोरिन स्थित वेदांता के स्टरलाइट संयंत्र को खोलने के लिये दायर आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। वेदांता का कहना था कि वह हजारों टन आक्सीजन का उत्पादन करके इसे मुफ्त में उपलब्ध करायेगा ताकि मरीजों का इलाज हो सके। तमिलनाडु सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने कानून व्यवस्था की स्थिति का हवाला दिया और कहा कि जिला कलेक्टर आज सवेरे वहां लोगों से इस बारे में बात करने गये थे। उन्होंने कहा, लोगों में पूरी तरह से अविश्वास है। इस संयंत्र को लेकर हुये आन्दोलन के दौरान वहां 13 व्यक्तियों की जान चली गयी थी। इस पर पीठ ने कहा, कल आपने कानून व्यवस्था की स्थिति की बारे में हमें नहीं बताया। अगर बताया होता तो शायद आज स्थिति भिन्न होती। क्या आपने हलफनामा दाखिल किया है। इस पर वैद्यनाथन ने कहा कि वह इसे दाखिल करेंगें। प्रभावित परिवारों के संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोन्साल्विज ने कहा कि राज्य सरकार आक्सीजन के उत्पादन के लिये संयंत्र अपने हाथ में ले सकती है। 

उन्होंने कहा, अगर तमिलनाडु सरकार यह संयंत्र अपने हाथ में लेती है और आक्सीजन का उत्पादन करती है तो इसमें हमें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन यह मुद्दा तो समूचे देश का है। पीठ ने कहा, देश की राष्ट्रीय संपदा का नागरिकों में समान रूप से वितरण होना चाहिए। केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस समय देश को आक्सीजन की अत्यधिक आवश्यकता है और ऐसा भी नहीं है कि प्रत्येक राज्य आक्सीजन का उत्पादन करती है। मेहता ने कहा, केन्द्र सरकार का इससे कोई सरोकार नहीं है कि संयंत्र वेदांता चलाती है या वैद्यनाथन के मुवक्किल इसका संचालन करते हैं। अगर लोग मर रहे हैं तो कानून व्यवस्था की समस्या कोई आधार नहीं हो सकता है। अगर हमारे पास 1000 टन उत्पादन की क्षमता है तो हमें इसका उत्पादन क्यों नहीं करना चाहिए।

पीठ ने मेहता से कहा कि, इस बिन्दु पर आपको ज्यादा प्रयास करने की जरूरत नहीं है। हम इसे देखेंगे।  शीर्ष अदालत ने इस मामले में तमिलनाडु सरकार को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और कहा कि इसमें अब 26 अप्रैल को आगे सुनवाई होगी। इस मामले में बृहस्पतिवार को वेदांता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने अवदेन तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया था। उनका कहना था कि रोजाना लोग मर रहे हैं और हम कोविड-19 रोगियों के उपचार के लिए ऑक्सीजन का उत्पादन एवं आपूर्ति कर सकते हैं।

साल्वे ने कहा था, यदि आज आप हमें अनुमति दे देते हैं तो हम पांच से छह दिन में काम शुरू कर सकते हैं। कंपनी हर रोज कई टन ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकती है और यह इसकी नि:शुल्क आपूर्ति को तैयार है। तमिलनाडु सरकार ने हालांकि रिकॉर्ड का हवाला देते हुए कहा था कि कंपनी द्वारा कोई भी ऑक्सीजन उत्पादन दो से चार सप्ताह से पहले शुरू नहीं किया जा सकता। शीर्ष अदालत ने पूर्व में खनन दिग्गज वेदांता की तूतीकोरिन स्थित स्टरलाइट कॉपर इकाई से संबंधित याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया था जो प्रदूषण संबंधी चिंताओं के चलते मई 2018 से बंद है। न्यायालय ने पिछले साल दो दिसंबर को वेदांता लिमिटेड की अंतरिम याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें स्टरलाइट कॉपर संयंत्र का निरीक्षण करने और प्रदूषण स्तर का आकलन करने के वास्ते एक महीने के लिए काम करने की अनुमति मांगी थी। 

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