Edited By shukdev,Updated: 19 Nov, 2019 08:45 PM
शीर्ष उपभोक्ता आयोग एनसीडीआरसी ने सहारा इंडिया मेडिकल इंस्टीट्यूट लिमिटेड के दो चिकित्सकों को निर्देश दिया है कि वे इलाज में लापरवाही के चलते किडनी खराब होने के कारण एक मरीज को 30 लाख रुपए का हर्जाना दें। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने...
नई दिल्ली: शीर्ष उपभोक्ता आयोग एनसीडीआरसी ने सहारा इंडिया मेडिकल इंस्टीट्यूट लिमिटेड के दो चिकित्सकों को निर्देश दिया है कि वे इलाज में लापरवाही के चलते किडनी खराब होने के कारण एक मरीज को 30 लाख रुपए का हर्जाना दें। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने चिकित्सक संदीप अग्रवाल और मुफ्फजल अहमद को क्रमश:लखनऊ निवासी ज्ञान मिश्रा को 20 लाख रुपए और 10 लाख रुपए देने का निर्देश दिया। आयोग के पास शिकायत लंबित होने के दौरान मिश्रा की मृत्यु हो गई। आदेश में यह भी कहा गया कि मिश्रा को यह क्षतिपूर्ति देने के लिए परोक्ष रूप से अस्पताल भी जवाबदेह है।
एनसीडीआरसी ने कहा,“डॉक्टर संदीप अग्रवाल को क्षतिपूर्ति के रूप में 20 लाख रुपए मिश्रा को देने का निर्देश दिया गया है, जबकि मुफ्फजल अहमद को उन्हें 10 लाख रुपए देने होंगे। विपक्षी पक्ष क्रमांक एक (सहारा इंडिया मेडिकल इंस्टीट्यूट लिमिटेड) परोक्ष रूप से शिकायतकर्ता को उक्त राशि देने के लिए जवाबदेह होगी।” आयोग ने कहा कि चूंकि शिकायत लंबित रहने के दौरान मिश्रा की मृत्यु हो गई, इसलिए इस बात को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि उनकी मौत चिकित्सकों की लापरवाही के चलते हुई, लेकिन ये बात तय है कि जिस साल उन्होंने उनसे इलाज कराया, उस दौरान उनकी किडनी खराब हुई।
मिश्रा की शिकायत के अनुसार वह 2011 में लखनऊ के सहारा अस्पताल में अग्रवाल की निगरानी में भर्ती हुए। उनका सीरम क्रिएटिनिन, जो खून में पाया जाने वाला एक अपशिष्ट उत्पाद है, एक स्वीकार्य सीमा से ऊपर पाया गया। ये किडनी की बीमारी का संकेत है, लेकिन इसके बावजूद अस्पताल से छुट्टी देने से पहले उन्हें कोई और उपचार नहीं दिया गया। इसके बाद वह 2013 में एक बार फिर उसी अस्पताल में भर्ती हुए और अग्रवाल और अहमद ने इनका इलाज किया। उनसे कहा गया कि वह किडनी की बीमारी की अंतिम अवस्था से गुजर रहे हैं और उन्हें डायलिसिस की जरूरत है।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि अस्पताल में उन्हें गलत इंजेक्शन भी लगाया गया। चिकित्सकों के वकील ने कहा कि मिश्रा को काफी लंबे समय से शराब की लत थी और लंबे समय से मधुमेह से भी पीड़ित थे, जो किडनी फेल होने की प्रमुख वजह है। उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल की आचार संबंधी समिति ने भी चिकित्सकों के पक्ष में फैसला दिया था, लेकिन एनसीडीआरसी ने मिश्रा की याचिका को खारिज करने से इनकार कर दिया।