नेपाल में भारतीय महिलाओं को नागरिकता संबंधी कानून का विरोध, सत्ताधारी सांसदों ने भी खोला मोर्चा

Edited By Tanuja,Updated: 22 Jun, 2020 10:20 AM

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नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा रविवार को भारतीय महिलाओं को शादी के 7 साल बाद नागरिकता देने के कानूनी फैसले को संसदीय ...

इंटरनेशनल डेस्कः नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा रविवार को भारतीय महिलाओं को शादी के 7 साल बाद नागरिकता देने के कानूनी फैसले को संसदीय समिति में बहुमत से पारित करने के बाद नेपाल में ही बवाल मच गया है। नेपाल की विपक्षी पार्टियों के तमाम दलील और विरोध को खारिज करते हुए सत्तारूढ़ दल ने नागरिकता संबंधी विवादास्पद कानून बनाने की प्रक्रिया को आगे बढाते ही इस कानून के खिलाफ नेपाल में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए हैं मधेश क्षेत्र से आने वाले 2 सांसदों ने भी सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। इसके बावजूद नेपाल की ओली सरकार अगले दो दिनों में इसे संसद से पारित कराने की तैयारी में है। सरकार द्वारा विवादास्पद नागरिकता कानून बनाए जाने का विरोध करते हुए रविवार को कई स्थानों पर लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए।

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युवाओं ने सड़कों पर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और पुतले जलाए। उधर, सत्तारूढ़ दल ने ही विवादास्पद नागरिकता कानून के विरोध में बगावत कर दी हैं। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के दो मधेशी सांसदों और पूर्व मंत्री मातृका यादव और प्रभु साह ने अपनी ही पार्टी और अपने ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।इन दोनों ने एक बयान जारी करते हुए नए नागरिकता कानून के फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग की है। रविवार को संसदीय समिति की बैठक में नेपाल के प्रमुख विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस और जनता समाजवादी पार्टी के नेताओं ने इस पर विरोध करते हुए इसे संविधान के खिलाफ बताया।

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संसदीय समिति में नेपाली कांग्रेस के सांसद दिलेन्द्र प्रसाद बडु ने कहा कि यह संवैधानिक विषय होने के साथ-साथ हमारे पारिवारिक, सामाजिक, सांस्कृतिक रिश्तों पर इसका सीधा असर पडने वाला है। इतना ही नहीं इस कानून का असर पूरे देश पर पड़ सकता है. इसलिए पूरी जिम्मेदारी के साथ और गंभीरतापूर्वक इस विषय को सोच समझकर आगे बढ़ाना चाहिए। जनता समाजवादी पार्टी के सांसद राजेन्द्र महतो ने कहा कि सरकार के द्वारा लाया गया यह प्रस्ताव संविधान के मर्म के खिलाफ है। विदेशी नागरिकों पर जो प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए था वह संविधान में ही लगा दिया गया है तो फिर यह नई पाबंदी सरकार कैसे लगा सकती है?

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