नागरिकता संशोधन बिल के पीछे कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं, गलत साबित हुआ तो ले लेंगे वापस: अमित शाह

Edited By shukdev,Updated: 09 Dec, 2019 07:38 PM

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गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक के पीछे भाजपा का कोई भी राजनीतिक एजेंडा नही है। किसी भी धर्म के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। किसी का अधिकार नहीं छीना जा रहा। मणिपुर में इनर लाइन...

नई दिल्ली: पूर्वोत्तर क्षेत्र की सामाजिक एवं भाषाई विशिष्टता के संरक्षण की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि अब मणिपुर को भी इनर लाइन परमिट व्यवस्था में शामिल किया जाएगा। नागरिकता संशोधन विधेयक को चर्चा एवं पारित होने के लिए लोकसभा में रखते हुए अमित शाह ने कहा,‘ पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों के मन में भय का माहौल खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन किसी को भयभीत होने की जरूरत नहीं है। इस विधेयक में हम पूर्वोत्तर के लोगों की सामाजिक एवं भाषाई विशिष्टता का संरक्षण कर रहे हैं।' विपक्ष के ऐतराजों का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि यदि आप लोग इसे गलत साबित कर देंगे तो हम बिल वापस ले लेंगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से हम भारत में अल्पसंख्यकों को लेकर चिंतित हैं, उसी तरह पड़ोसी मुल्कों से आने वाले माइनॉरिटी समुदाय के लोगों के लिए भी हम प्रतिबद्ध हैं। 

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नगालैंड और मिजोरम इनर लाइन परमिट में शामिल
शाह ने कहा कि नगालैंड और मिजोरम इनर लाइन परमिट के माध्यम से संरक्षित हैं और आगे भी रहेंगे।‘ मणिपुर के लोगों की भावनाओं को देखते हुए हम उन्हें भी इनर लाइन परमिट में शामिल कर रहे हैं।' उन्होंने कहा कि मणिपुर के लोग काफी समय से मांग कर रहे थे और अब उनकी मांग पूरी होने जा रही है। गौरतलब है कि पूर्वोत्तर में कुछ इलाकों में पहाड़ी क्षेत्रों में जाने के लिए मूल निवासियों को छोड़ बाहरी लोगों को इनर लाइन परमिट लेना पड़ता है। 

 

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नागरिकता संशोधन विधेयक के दायरे से असम में स्वायत्त जिला परिषद को बाहर रखा गया
गृह मंत्री ने कहा कि मेघालय को छठी अनुसूची के तहत संरक्षण प्राप्त है और यह विधेयक छठी अनुसूची पर लागू नहीं होता है। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश बंगाल फ्रंटियर नियमन अधिनियम के तहत है। बाद में भी यह कानून ही प्रदेश पर लागू होगा। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में भी लोगों की चिंताओं का ध्यान रखा गया है। शाह ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक के दायरे से असम में स्वायत्त जिला परिषद को बाहर रखा गया है। गृह मंत्री ने कांग्रेस के सदस्य गौरव गोगोई के बयान के जवाब में कहा, ‘ मैं पूछना चाहता हूं कि असम समझौते के इतने वर्षों बाद तक उसके प्रावधानों को लागू क्यों नहीं किया गया? क्या एनआरसी लागू किया गया?' उन्होंने कहा कि अब हम समस्याओं का समाधान निकाल रहे हैं, तब वे विरोध क्यों कर रहे हैं। हमारे प्रयासों के फलस्वरूप असम के छह समुदायों को लाभ होगा। 
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विभिन्न राजनीतिक दलों, मुख्यमंत्रियों एवं समूहों के साथ एक महीने में 119 घंटे तक चर्चा
शाह ने इसके साथ ही कहा कि बंगाल और पूर्वोत्तर के लोगों तक यह बात पहुंचाई जानी चाहिए कि वे जिस तारीख से यहां आए हैं, उसी तारीख से नागरिकता के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि इस विधेयक पर विभिन्न राजनीतिक दलों, मुख्यमंत्रियों एवं समूहों के साथ पिछले एक महीने में 119 घंटे तक चर्चा की गई और उनके सुझावों को इस विधेयक में शामिल किया गया है। शाह ने कहा कि मोदी सरकार के नेतृत्व में हम उन लोगों को अधिकार देने जा रहे हैं जिनकी सालों से इस बारे में मांग थी। उन्होंने कांग्रेस की ओर इशारा करते हुए कहा कि जो आज विधेयक का विरोध कर रहे हैं, उनकी सरकारों के समय पहले भी ऐसा होता रहा है। शाह ने कहा कि 1947 के समय देश में सभी शरणार्थियों को स्वीकार किया गया। 

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उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह और लालकृष्ण आडवाणी भी उसी श्रेणी में आते हैं। जो क्रमश: देश के प्रधानमंत्री और उप प्रधानमंत्री के पदों तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि इसके बाद भी कई बार ऐसा हुआ। तब किसी ने शरणार्थियों को नागरिकता दिए जाने का विरोध नहीं किया, हमने भी नहीं किया। शाह ने कहा कि हम समझते थे कि यातना सह रहे ऐसे लोग कहां जाएंगे।

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