ऑफ द रिकॉर्ड: ‘फैमिली’ को बाहर रखने के लिए मोदी ने लागू किया नया नियम

Edited By Pardeep,Updated: 12 Apr, 2019 04:51 AM

off the record modi s new rule to keep out family

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 75 वर्ष के बुजुर्गों को चुनावी टिकट न देने के फैसले को न केवल सख्ती से लागू किया है बल्कि इसके साथ ही उन्होंने ‘नो फैमिली प्रोमोशन’ (किसी परिवार को प्रोत्साहन नहीं) की धारा भी लागू की है। एल.के. अडवानी, एम.एम. जोशी,...

नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 75 वर्ष के बुजुर्गों को चुनावी टिकट न देने के फैसले को न केवल सख्ती से लागू किया है बल्कि इसके साथ ही उन्होंने ‘नो फैमिली प्रोमोशन’ (किसी परिवार को प्रोत्साहन नहीं) की धारा भी लागू की है। एल.के. अडवानी, एम.एम. जोशी, सुमित्रा महाजन जैसे वरिष्ठ पार्टी नेताओं को अगर टिकट नहीं दिया गया तो इसके साथ ही ‘फैमिली धारा’ भी लागू की गई जिसके तहत यह फैसला किया गया है कि एक ही परिवार के 2 सदस्यों को पार्टी टिकट नहीं दिया जाएगा। मोदी के इस नियम के पार्टी के बहुत से वरिष्ठ नेता शिकार हुए हैं। 
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मोदी ने भाजपा के ‘गांधियों’ मेनका और वरुण को स्पष्ट कर दिया था कि उनमें से केवल एक को ही टिकट मिलेगी और परिवार के दूसरे सदस्य को पार्टी के लिए काम करना चाहिए। दोनों ही लोकसभा के निवर्तमान सदस्य हैं। मेनका गांधी मोदी सरकार में मंत्री हैं। ऐसी चर्चा है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दलील दी कि मेनका गांधी के परिवार के मामले में छूट दी जानी चाहिए। यह भी कहा गया कि अनुराग ठाकुर और दुष्यंत सिंह को भी टिकट दिया गया है जबकि वसुंधरा राजे सिंधिया विधायक हैं। यह नियम नए मामलों में लागू किया जाना चाहिए। 
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मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया कि अगर किसी का पिता या मां राजनीति में सक्रिय है तो उस परिवार के किसी भी बच्चे को टिकट नहीं मिलेगा। इस नियम के कारण ही असम के राज्यपाल जगदीश मुखी, केंद्रीय इस्पात मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह और भाजपा के वरिष्ठ राज्यसभा सदस्य आर.के. सिन्हा अपने पुत्रों के लिए टिकट पाने में नाकाम रहे। बीरेंद्र सिंह इस बात को लेकर बहुत निराश हुए कि उनका बेटा बिजेंद्र सिंह, जो आई.ए.एस. अधिकारी है और रोहतक या हिसार से चुनाव लडऩा चाहता है, को टिकट नहीं दिया गया। बीरेंद्र सिंह मंत्री हैं और उनकी पत्नी हरियाणा से विधायक हैं इसलिए इस परिवार को टिकट नहीं दिया गया। 
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प्रधानमंत्री मोदी के करीबी विश्वासपात्र के. सिन्हा अपने पुत्र ऋतुराज सिन्हा को पटना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाना चाहते थे। सिन्हा को बताया गया कि ‘परिवार नियम’ उनके पुत्र को टिकट देने से रोकता है। यही बात जगदीश मुखी के साथ हुई। प्रधानमंत्री के सख्त स्टैंड को महसूस करते हुए राज्यों के पार्टी नेताओं ने अपने प्रस्तावों में संशोधन किया और बच्चों को टिकट देने के सभी प्रस्ताव वापस ले लिए। 
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