Edited By Pardeep,Updated: 20 May, 2019 05:34 AM
पहली बार लोकसभा चुनाव की मतगणना में वी.वी.पी.ए.टी. मशीनों से निकलने वाली पॢचयों और ई.वी.एम. का मिलान करने का प्रावधान है जिससे चुनावी नतीजों में देर हो सकती है। हर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पडऩे वाले 5 मतदान...
नेशनल डेस्क: पहली बार लोकसभा चुनाव की मतगणना में वी.वी.पी.ए.टी. मशीनों से निकलने वाली पर्चियों और ई.वी.एम. का मिलान करने का प्रावधान है जिससे चुनावी नतीजों में देर हो सकती है।
हर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पडऩे वाले 5 मतदान केंद्रों की ई.वी.एम. और वी.वी.पी.ए.टी. की पर्चियों का मिलान किया जाएगा। देशभर के 543 लोकसभा क्षेत्रों के तहत 4,120 विधानसभा क्षेत्र हैं। इस हिसाब से कुल 20,600 पोलिंग बूथों पर ई.वी.एम. और वी.वी.पी.ए.टी. की पर्चियों का मिलान होगा।
यह मिलान मतगणना हॉल में वी.वी.पी.ए.टी. काऊंटिंग बूथ (वी.सी.बी.) के भीतर किया जाएगा। यह बैंक के कैशियर चैंबर की तरह होगा। अधिकारी के अनुसार एक पोलिंग बूथ पर 800 से 2,500 तक वोट होते हैं। आमतौर पर प्रत्येक बूथ की पर्चियों के मिलान में लगभग एक घंटे का समय लग सकता है, ऐसे में अंतिम नतीजों में 4-5 घंटे की देरी हो सकती है।
वी.वी.पी.ए.टी. की पर्ची से होगा फैसला
अधिकारी ने बताया कि ई.वी.एम. और वी.वी.पी.ए.टी. की पर्ची का मिलान नहीं होने की स्थिति में वी.वी.पी.ए.टी. की पॢचयों को ही अंतिम माना जाएगा। उन्होंने चुनाव नियमावली के नियम 56 डी (4) बी और 60 का हवाला देते हुए कहा कि ई.वी.एम. की कंट्रोल यूनिट में दर्ज कुल मत और वी.वी.पी.ए.टी. की पर्चियों की गणना में अंतर होने पर वी.वी.पी.ए.टी. की पर्ची को ही अंतिम माना जाएगा। किसी भी स्थिति में प्रत्याशी या उसके मतगणना एजैंट असंतुष्ट रहते हैं तो वह तय नियमों के तहत अपील कर सकते हैं।
सर्विस वोट में लगेगी देर
सर्विस वोट पर भी पहली बार कोड का इस्तेमाल किया गया है। इसे कोड रीडर के माध्यम से पढ़ा जाएगा। अधिकारी ने बताया कि कोड पढऩे में रीडर से लगभग 1 मिनट का समय लग सकता है। इसे देखते हुए भी जिन सीटों पर सर्विस वोटरों की संख्या ज्यादा है उनके नतीजों में ज्यादा देर है। ऐसे में कई सीटों पर उम्मीदवारों को जीत का प्रमाणपत्र मिलते-मिलते 23 मई की तारीख बदल भी सकती है।