विपक्ष ने की चीन के मुद्दे पर चर्चा की मांग, सरकार बोली- संवेदनशील मुद्दा, नही कर सकते सार्वजनिक

Edited By Yaspal,Updated: 15 Sep, 2020 05:57 PM

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सरकार ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच गतिरोध के विषय पर संसद में चर्चा कराने की विपक्ष की मांग को मंगलवार को खारिज कर दिया। सूत्रों ने बताया कि लोकसभा की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) में कांग्रेस नेताओं ने पूर्वी...

नई दिल्लीः सरकार ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच गतिरोध के विषय पर संसद में चर्चा कराने की विपक्ष की मांग को मंगलवार को खारिज कर दिया। सूत्रों ने बताया कि लोकसभा की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) में कांग्रेस नेताओं ने पूर्वी लद्दाख में चीन के सैनिकों के साथ भारतीय सैनिकों के गतिरोध पर चर्चा कराने की मांग उठाई थी। सूत्रों के अनुसार, सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि मुद्दा संवेदनशील है और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है इसलिए इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।

इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में चीन के मुद्दे पर बयान देते हुए कहा कि लद्दाख के पूर्वी क्षेत्र में भारत शांतिपूर्ण तरीके से सीमा मुद्दे के हल के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन पड़ोसी देश द्वारा यथास्थिति में एकतरफा ढंग से बदलाव का कोई भी प्रयास अस्वीकार्य होगा। उन्होंने कहा कि हम पूर्वी लद्दाख में चुनौती का सामना कर रहे हैं, हम मुद्दे का शांतिपूर्ण ढंग से हल करना चाहते हैं और हमारे सशस्त्र बल देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए डटकर खड़े हैं। रक्षा मंत्री के जवाब के बाद कांग्रेस के सदस्य भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखना चाहते थे लेकिन अध्यक्ष ओम बिरला ने नियमों का उल्लेख करते हुए उन्हें अनुमति नहीं दी।

कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और गौरव गोगोई ने कहा कि उन्हें भी बोलने का अधिकार है। हालांकि आसन से अनुमति नहीं मिलने के बाद कांग्रेस सदस्यों ने विरोध स्वरूप सदन से वाकआउट किया। लोकसभा में पूर्वी लद्दाख की स्थिति पर दिये गये एक बयान में रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि इस सदन को प्रस्ताव पारित करना चाहिए कि यह सदन और सारा देश सशस्त्र बलों के साथ है। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं इस सदन से यह आग्रह करना चाहता हॅूं कि हमें एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए कि हम अपने वीर जवानों के साथ कदम-से-कदम मिलाकर खड़े हैं, जो कि अपनी जान की परवाह किए हुए बगैर देश की चोटियों की उचाइयों पर विषम परिस्थितियों के बावजूद भारत माता की रक्षा कर रहे हैं।''

सिंह ने हाल ही में चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंगहे से मॉस्को में अपनी बातचीत का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मैंने यह भी स्पष्ट किया कि हम इस मुद्दे को शांतिपूर्ण ढंग से हल करना चाहते हैं और हम चाहते हैं कि चीनी पक्ष हमारे साथ मिलकर काम करे। हमने यह भी स्पष्ट कर दिया कि हम भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘ मैं इस बात पर बल देना चाहूंगा कि भारत शातिपूर्ण बातचीत और परामर्श से सीमा मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी उद्देश्य से मैंने चार सितंबर को चीनी रक्षा मंत्री से बातचीत की।''

रक्षा मंत्री ने कहा कि इस वर्ष की स्थिति पहले से बहुत अलग है, फिर भी हम मौजूदा स्थिति के शांतिपूर्ण समाधान के प्रति प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि इसके साथ-साथ वह सदन को आश्वस्त करना चाहते हैं कि सरकार सभी परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार है। सिंह ने अप्रैल के बाद से पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध के हालात और सीमा पर शांति के लिए कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर किये गये प्रयासों का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लद्दाख दौरे से संदेश दिया गया कि समस्त देशवासी जवानों के साथ खड़े हैं।

 

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