Edited By Monika Jamwal,Updated: 29 Dec, 2020 01:56 PM
कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिये घाटी में अलग होमलैंड की मांग करते हुये समुदाय के एक संगठन पनुन कश्मीर ने अपने उन युवाओं के लिये एकमुश्त मुआवजे की मांग की जो निर्वासन में रहने के कारण सरकारी नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर सके ।
जम्मू: कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिये घाटी में अलग होमलैंड की मांग करते हुये समुदाय के एक संगठन पनुन कश्मीर ने अपने उन युवाओं के लिये एकमुश्त मुआवजे की मांग की जो निर्वासन में रहने के कारण सरकारी नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर सके । संगठन ने समुदाय के लोगों के खिलाफ हुयी च्ज्यादती, नरसंहार और जातीय सफायेज् के मामले की जांच के लिये एक अपराध न्यायाधिकरण स्थापित करने तथा घाटी में हिंदू मंदिरों एवं गुफाओं के संरक्षण एवं प्रबंधन के लिये एक कानून बनाने की मांग की ।
पनुन कश्मीर के नेताओं ने '29वें मार्गदर्शन दिवस' के आयोजन के दौरान अपनी मांग रखी । पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि आज के ही दिन 29 साल पहले विस्थापित समुदाय के लोगों की विभिन्न मांगों को दर्शाने के लिये 'मार्गदर्शन प्रस्ताव' अपनाया गया था । पनुन कश्मीर के अध्यक्ष वीरेंदर रैना ने अपने संबोधन में कहा कि मार्गदर्शन प्रस्ताव कश्मीरी पंडित समुदाय की आकांक्षाओं के कुल योग का प्रतिनिधित्व करता है।
उन्होंने कहा, "यह प्रस्ताव एकमत से झेलम नदी के उत्तर एवं पूर्व में भारतीय संविधान के निर्बाध प्रवाह के साथ अलग होमलैंड की मांग करता है ।" उन्होने कहा कि समुदाया के खिलाफ की गयी ज्यादती, नरसंहार एवं जातीय सफाये के मामलों की जांच के लिये एक विशेष अपराध न्यायाधिकरण स्थापित किये जाने की जरूरत है । रैना ने सरकार में आरक्षित छह हजार पदों पर विस्थापित समुदाय के युवाओं की त्वरित भर्ती किये जाने की मांग की ।
संगठन के महासचिव उपिंदर कौल ने सरकारी नौकरियों के लिये अधिकतम उम्र सीमा को पार कर चुके समुदाय के ऐसे युवक जो निर्वासन के कारण आवेदन नहीं दे सके हैं उनके लिये एकमुश्त मुआवजे की मांग की ।