स्कूलों की मनमानी के आगे मजबूर अभिभावक, रखी कार्यवाही की मांग

Edited By Radhika,Updated: 08 Apr, 2024 11:16 AM

parents forced to face the arbitrariness of schools demand action

प्रदेश में निजी स्कूल और प्रकाशक मिलीभगत कर मनमानी की किताब बेच रहे हैं। इससे स्कूल और पब्लिशर्स तो मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। इसका सीधा असर विद्यार्थियों व अभिभावकों पर पड़ रहा है।

नेशनल डेस्क: प्रदेश में निजी स्कूल और प्रकाशक मिलीभगत कर मनमानी की किताब बेच रहे हैं। इससे स्कूल और पब्लिशर्स तो मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। इसका सीधा असर विद्यार्थियों व अभिभावकों पर पड़ रहा है। शिक्षा विभाग के स्पष्ट आदेश हैं कि स्कूलों में एनसीईआरटी की ही किताबें लगवाई जाएं, लेकिन प्राइवेट स्कूल एनसीईआरटी के साथ निजी प्रकाशकों की किताबें लगवा रहे हैं।

एनसीईआटी की किताबों का 8वीं कक्षा का सेट 750 से 1000 रुपए में मिल जाता है। वहीं, निजी प्रकाशकों की किताबें 5000 रु. तक में आती हैं। इसी तरह 12 वीं कक्षा की एनसीईआरटी की किताबों का सेट 1300 रुपए का है, जबकि स्कूल निजी प्रकाशकों की 5500 रुपए तक की किताबें भी साथ में लगवा रहे हैं। यानी अभिभावकों को जहां आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है, वहीं विद्यार्थियों के बैग का बोझ बढ़ रहा है। मनमानी के आगे मजबूर कुछ अभिभावक तो दबी जुबान में कहते हैं कि शिक्षा के नाम पर कमीशनखोरी का खेल चल रहा है। शिक्षा विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा। भास्कर ने सभी 22 जिलों में पड़ताल की तो सामने आया कि शिक्षा विभाग ने किसी भी निजी स्कूल को एनसीईआरटी की किताब न लगाने को लेकर नोटिस तक नहीं दिया है। कई जिलों में तो एनसीईआरटी की नकली किताबें भी बाजार में बिक रही हैं। कार्रवाई के नाम पर कुछ जगह छापेमारी कर खानापूर्ति की जा रही है।

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अभिभावक मजबूर, कार्यवाही की मांग

• चरखी दादरी में बस स्टैंड के नजदीक दुकान से किताब लेने पहुंचे नरेंद्र कुमार ने बताया कि निजी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें न के बराबर लगवाई गई हैं। 8वीं की एनसीईआरटी की गणित विषय की किताब नहीं मिल रही। स्कूल एक दुकान से किताबें लेने को मजबूर करते हैं।

 • राजेश गोदारा ने बताया कि निजी स्कूलों द्वारा बताई गई किताबों में एनसीआरटी की किताबें अभी पीछे से ही कम बताई जा रही हैं। दुकानदार कह रहे हैं कि पता नहीं, कब तक आएंगी। ऐसे में महंगी किताबें खरीदनी पड़ रही हैं।

कुरुक्षेत्र में स्कूल पेरेंट्स एसोसिएशन का कहना है कि किताबों के इस खेल में स्कूल और पुस्तक विक्रेता मिलकर निजी प्रकाशकों की किताबों पर मिलने वाला कमीशन खा रहे हैं। इस लूट पर कार्रवाई होनी चाहिए। सिरसा के कर्मजीत ने कहा कि स्कूल संचालकों ने किताबों के लिए एक दुकान फिक्स की हुई है। वहां से छठी की किताबों का सेट 6500 रुपए में दिया। सभी किताबें प्रिंट रेट पर दी गईं। उनकी मांग है कि जो किताबें लगवाई जा रही हैं, वे सभी दुकानों पर मिलें।

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