हुरिर्यत के पूर्व विधायक का बेतुका बयान : भारत के साथ नहीं हूं पर विधायक पैंशन मेरा अधिकार है

Edited By Monika Jamwal,Updated: 08 Jun, 2018 06:00 PM

pension is my right said hurriyat ex mla

कश्मीर में अलगाववाद को हवा देने के लिए विधायकी छोडकऱ हुर्रियत कांफ्रेंस में शामिल होने वाले गुलाम नबी सुमजी ने जम्मू-कश्मीर सरकार से सातवें वेतन आयोग के मुताबिक पेंशन बढ़ाने की गुहार लगाई थी।

श्रीनगर : कश्मीर में अलगाववाद को हवा देने के लिए विधायकी छोडकऱ हुर्रियत कांफ्रेंस में शामिल होने वाले गुलाम नबी सुमजी ने जम्मू-कश्मीर सरकार से सातवें वेतन आयोग के मुताबिक पेंशन बढ़ाने की गुहार लगाई थी। महबूबा मुफ्ती की सरकार ने अब जाकर उनके आवेदन को स्वीकार करते हुए बढ़ा हुआ पेंशन पास कर दिया है। राज्य सरकार ने साल के शुरुआत में ही जम्मू-कश्मीर राज्य विधानमंडल कानून पारित कर पूर्व विधायकों के पेंशन में पुनरसंशोधन किया था। इसके तहत पूर्व विधायकों के पेंशन में 20 फीसद तक की वृद्धि हुई है। गुलाम नबी ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर बढ़ा हुआ पेंशन और एरियर का भुगतान करने का अनुरोध किया था।


अलगाववादी नेता ने विधानसभा के सचिव को लिखा था सर पूरे सम्मान के साथ मैं आपको इस बात से अवगत कराना चाहता हूं कि पूर्व विधायकों के पेंशन में पुनरसंशोधन किया गया है और कानून के तहत उनका बकाया एरियर भी जारी कर दिया गया है। इसलिए आपसे प्रार्थना है कि एरियर के साथ मेरा बढ़ा हुआ पेंशन मेरे हक में जारी किया जाए।

पेंशन और एरियर दोनों मिलेगा
विधानसभा ने गुलाम नबी का पेंशन बढ़ाने की अनुमति दे दी है। अलगाववादी नेता ने खुद इसकी पुष्टि भी की है। गुलाम नबी ने बताया कि उन्होंने दो से तीन महीना पहले इसके लिए आवेदन किया था, जिसका अनुमोदन कर दिया गया है। बता दें कि उन्होंने अपने आवेदन पर भूलवश वर्ष 2015 लिख दिया था। अब उन्हें 47,000 रुपये प्रति माह का पेंशन मिलेगा। साथ ही वर्ष 2016 से बाद के एरियर का भी भुगतान किया जाएगा।

बनाया था मुस्लिम फ्रंट
गुलाम नबी वर्ष 1987 -89 के बीच बिजबिहाडा, अनंतनाग, से विधायक थे। उन्होंने वर्ष 1987 के चुनावों में नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस गठजोड़ को चुनौती देने के लिए मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट के नाम से अलग मोर्चा बनाया था। गुलमा नबी के अलावा इस फ्रंट में सैय्यद अली शाह गिलानी, मोहम्म्द सईद शाह और अब्दुल रज्जाक मीर भी शामिल थे। गुलाम नबी ने अपने दो साथियों के साथ वर्ष 1989 में विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था और अलगाववादी अभियान से जुड़ गए थे। मीर ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था। बाद में आतंकवादियों ने उनकी हत्या कर दी थी।

बंद कर दी थी पेंशनल लेना
 गिलानी ने एक दशक पहले सरकारी पेंशन लेना बंद किया था। गुलाम नबी ने बताया कि मीन और सईद शाह के परिजन भी पेंशन का लाभ उठा रहे हैं। बता दें कि अगाववाद में शामिल होने भर से जनप्रतिनिधि पेंशन की सुविधा लेने से वंचित नहीं हो जाते हैं।

कहा पेंशन मेरा अधिकार
सुमजी ने कहा था कि वे भले ही भारत और उसकी सैन्य ताकत के खिलाफ हैं पर पेंशन उनका अधिकार है और वह उसे लेकर रहेंगे।
 

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