Edited By Anil dev,Updated: 09 Sep, 2019 10:23 AM
युवाओं और स्कूली बच्चों को मोबाइल की लत लगने की बात तो अक्सर सुनने में आती है लेकिन यू.पी. में बरेली के जिला अस्पताल में ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुनकर आम लोगों के तो क्या डॉक्टरों तक के होश उड़ गए।
बरेली: युवाओं और स्कूली बच्चों को मोबाइल की लत लगने की बात तो अक्सर सुनने में आती है लेकिन यू.पी. में बरेली के जिला अस्पताल में ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुनकर आम लोगों के तो क्या डॉक्टरों तक के होश उड़ गए। यहां एक मां अपने 3 साल के बच्चे को काऊंसलिंग सैंटर में लेकर आई क्योंकि उनका बच्चा मोबाइल फोन का इतना आदी हो चुका था कि वह टॉयलेट में भी नहीं जाता था। यह बच्चा दिन में करीब 8 घंटे डोरेमोन और मोटू-पतलू देखता था। इस बच्चे को उसकी मां घर के काम करने के दौरान मोबाइल फोन थमा देती थी।
2 महीने में ऐसे 39 केस आए सामने
काऊंसलिंग सैंटर में 2 महीने में ही ऐसे 39 केस सामने आ चुके हैं जहां 10 से 18 साल के बच्चों को मोबाइल फोन की लत लग चुकी है। जिला अस्पताल के डा. आशीष कुमार का कहना है कि माता-पिता अक्सर बच्चों को छोटी उम्र में मोबाइल फोन थमा देते हैं ताकि बच्चे उनके काम में डिस्टर्ब न करें। बाद में यह लत बन जाती है और बच्चों के बिहेवियर पर असर डालती है। साइकलॉजिस्ट खुश अदा ने बताया कि पैरेंट्स को बच्चों को मोबाइल फोन देने से बचना चाहिए।