Edited By Seema Sharma,Updated: 03 Jun, 2018 12:31 PM
नागपुर में आर.एस.एस. के समारोह में शामिल होने का फैसला कर प्रणव मुखर्जी ने यह संकेत दिया है कि उन्हें अभी भी उपेक्षित नहीं समझा जा सकता। प्रणव एक लेखक भी हैं। वह एक नई किताब लिख रहे हैं जो अगले लोकसभा चुनावों से पूर्व प्रकाशित हो सकती है।
नेशनल डेस्कः नागपुर में आर.एस.एस. के समारोह में शामिल होने का फैसला कर प्रणव मुखर्जी ने यह संकेत दिया है कि उन्हें अभी भी उपेक्षित नहीं समझा जा सकता। प्रणव एक लेखक भी हैं। वह एक नई किताब लिख रहे हैं जो अगले लोकसभा चुनावों से पूर्व प्रकाशित हो सकती है। यद्यपि वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद और अहमद पटेल नियमित रूप से मुखर्जी से मुलाकात कर उनका असंतोष कम करवा रहे हैं। मुखर्जी पिछले 50 वर्षों से राजनीतिक घटनाओं की दैनिक आधार पर डायरी लिख रहे हैं। उन्होंने अपने राष्ट्रपति काल में कई पुस्तकें लिखी हैं। उनकी लेखनी कांग्रेसी जनों को अच्छी नहीं लगी।
मुखर्जी की यह एक नागरिक के रूप में दलील है कि वह किसी राजनीतिक पार्टी के सदस्य नहीं मगर वह निश्चित तौर पर त्रिशंकु संसद में मुख्य खिलाड़ी के रूप में उभर सकते हैं और नागपुर में आर.एस.एस. मुख्यालय में उनका दौरा पार्टी लाइन से ऊपर उठ कर उनकी स्वीकार्यता को बढ़ाने का एक हिस्सा है। क्या वह 2019 में गैर-भाजपा और गैर-कांग्रेस पार्टियों के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं? ऐसा हो सकता है। नवीन पटनायक, ममता बनर्जी, तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टी.आर.एस.) के. चंद्रशेखर राव, चंद्रबाबू नायडू, मुलायम सिंह यादव अगर स्थिति पैदा हुई तो मुखर्जी का समर्थन कर सकते हैं। मौजूदा समय में मुखर्जी के फैंस यही सोचते हैं लेकिन मुखर्जी और कांग्रेस के बीच अविश्वास बढ़ गया है।