कोरोना फाइटर: ऐसे जीती राघवन ने कोरोना से जंग, पढ़ें बेंगलुरु के पहले कोरोना मरीज की दास्तां

Edited By Chandan,Updated: 02 Apr, 2020 08:43 PM

raghavan won battle with corona the story of first corona patient of bengaluru

कोरोना के ठीक हुए मामलों में से ही एक मामला है कर्नाटक के बेंगलुरु में रहने वाले पीके वेंकट राघवन का। राघवन बेंगलुरु के पहले मरीज हैं जो कोरोना से ठीक हुए हैं। राघवन ने अपने बीमार होने से लेकर ठीक होने तक की कहानी को मीडिया के सामने रखा है ताकि...

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण में आने वाले लोगों की संख्या देश में हर दिन तेजी से बढ़ती जा रही है। भारत में अब तक कोरोना के 2 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इस बीच अच्छी खबर यह भी है कि कोरोना से ठीक होने वाले मामले भी 100 की संख्या पार कर चुके हैं। भले ही यह कोरोना के डर को कम नहीं करता है लेकिन एक उम्मीद जरुर बंधाता है।

कोरोना के ठीक हुए मामलों में से ही एक मामला है कर्नाटक के बेंगलुरु में रहने वाले पीके वेंकट राघवन का। राघवन बेंगलुरु के पहले मरीज हैं जो कोरोना से ठीक हुए हैं। राघवन ने अपने बीमार होने से लेकर ठीक होने तक की कहानी को मीडिया के सामने रखा है ताकि कोरोना से जूझते और डरते लोगों के लिए यह कहानी मददगार बन सके।

ऐसे हुई थी शुरुआत
राघवन दो हफ्ते के कोर्स के बाद डिस्चार्ज हुए हैं। वह मार्च के शुरुआती हफ्ते में ऑफिस के ट्रिप पर अमेरिका गए थे और उनकी वापसी लंदन के हीथ्रो हवाईअड्डे से हुई थी। यही से शायद वो कोरोना वायरस की चपेट में आए, हालांकि इस बारे में उनका कहना था कि उन्हें इस बारे में कंफ़र्म नहीं हैं, शायद वाशरूम में मैंने कुछ छुआ या फिर वह कोई संक्रमित व्यक्ति उनके बहुत करीब बैठ रहा हो और मैं इसकी चपेट में आ गया।

घर लौटा लेकिन परिवार से दूर रहा
राघवन बताते हैं कि मेरे टेस्ट के बाद अस्पताल में मेरी फाइल बनाई गई और तुरंत मुझे दवाइयां दीं और मेरी ट्रैवल हिस्ट्री पर गौर करते हुए टेस्ट किया। मैं घर लौट आया और रात को अपने परिवार से दूर समय बिताया। अगले दिन, मुझे डॉक्टरों से फोन आया कि मेरा वायरस लोड बहुत ज्यादा है और मुझे भर्ती होने के लिए कहा। पहले तो मुझे डर लगा लेकिन वास्तव में मैं खुश था क्योंकि मैं अपने परिवार को संक्रमित नहीं करना चाहता था। मैंने एक एम्बुलेंस के लिए अनुरोध किया और उन्होंने इसकी व्यवस्था की। मैंने सामान पैक किया और आइसोलेशन सेंटर में भर्ती हो गया।

हम कोरोना से निपट सकते हैं
राघवन अमेरिका से लौटते ही कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। इसके बाद उन्होंने खुद को राजीव गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ चेस्ट डिजीज में भर्ती कराया। राघवन ने इस दौरान कई वीडियो शूट किए और उन्हें यूट्यूब पर शेयर किया है ताकि लोग इसे देखें और समझें। ठीक होने के बाद उन्होंने संदेश दिया है, 'दुनिया इस महामारी का सामना कर रही है। लेकिन आप इससे बाहर आ सकते हैं। आप इसका सामना कर सकते हैं। हम इससे निपट सकते हैं।'

कुछ वक़्त मुश्किल था लेकिन
राघवन का कुछ वक़्त कठिन गुजरा। खास कर शुरूआती समय, इस दौरान उन्हें भूखा भी रहना पड़ा और कुछ रातें उन्हें नींद भी नहीं आई। राघवन ने बताया कि मेरा कमरा छोटा था, लेकिन यहां कोविड -19 के इलाज से जुड़ी सुविधाएं थीं। भोजन की व्यवस्था नहीं हो सकी क्योंकि लाने वाला व्यक्ति अस्पताल जाने से बहुत डरता था। राघवन ने बताया, 'मेरा तापमान सुबह, 102 डिग्री या इससे ज्यादा हो जाता था लेकिन डॉक्टरों ने मुझे अच्छी तरह से गाइड किया। उन्होंने संक्रमण को रोकने के लिए मुझे एंटीबायोटिक दवाएं दीं।

अंत भला तो सब भला
दो हफ्ते के कोर्स के बाद पीके वेंकट राघवन अब ठीक हो चुके हैं। उन्हें अब ठीक महसूस होता है वो कहते हैं कि अब वह आसानी से सांस ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि मैंने कभी अपने परिवार को संक्रमित नहीं होने दिया। यह मेरे लिए बड़ी उपलब्धि है। मुझे उम्मीद नहीं थी कि मैं इससे बाहर आ पाऊंगा। लेकिन अंत भला तो सब भला।

 

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