Edited By shukdev,Updated: 12 Feb, 2019 08:43 PM
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि कालेधन पर तीन रिपोर्ट संसद की एक समिति के सदस्यों के लिए उपलब्ध हैं लेकिन उन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। इससे पहले समिति के कुछ सदस्यों ने दावा किया कि रिपोर्ट उनके साथ साझा नहीं की जा रही हैं।...
नई दिल्ली: वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि कालेधन पर तीन रिपोर्ट संसद की एक समिति के सदस्यों के लिए उपलब्ध हैं लेकिन उन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। इससे पहले समिति के कुछ सदस्यों ने दावा किया कि रिपोर्ट उनके साथ साझा नहीं की जा रही हैं। लोकसभा में वित्त विधेयक, 2019 पर चर्चा के दौरान बीजू जनता दल के नेता भर्तृहरि महताब ने इस मुद्दे को उठाया और कहा कि काले धन पर रिपोर्ट को वित्त पर विभाग संबंधी संसदीय स्थाई समिति के सदस्यों के साथ साझा नहीं किया जा रहा है। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि समिति के अध्यक्ष (एम वीरप्पा मोइली) ने कहा है कि वित्त मंत्रालय ने काले धन पर इन रिपोर्ट को साझा नहीं करने को कहा है।
इस पर वित्त मंत्री गोयल ने कहा कि ये रिपोर्ट समिति के सदस्यों के लिए उपलब्ध हैं, लेकिन सार्वजनिक रूप से रखने के लिए उपलब्ध नहीं है। मंत्री ने कहा कि अलग अलग रिपोर्टों में कालेधन को लेकर विविध आंकड़े हैं और किसी निश्चित प्रमाणिक आंकड़े पर नहीं पहुंचा जा सका है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में लोकसभा सचिवालय से भी कई बार पत्राचार हुआ है। भाजपा के निशिकांत दुबे ने कहा कि ये रिपोर्ट संसद की संपत्ति होनी चाहिए और इन्हें सार्वजनिक किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि समिति के अध्यक्ष कांग्रेस के नेता हैं और इन रिपोर्ट के सामने आने से कांग्रेस के समय का कालेधन का सच सामने आएगा। वित्त मंत्री गोयल ने कहा कि अगले कार्यकाल में सरकार में आएंगे तो देखेंगे कि इसे किस तरह आगे बढ़ाया जाएगा।
गौरतलब है कि संप्रग सरकार ने 2011 में दिल्ली स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) और नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) तथा फरीदाबाद स्थित राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान (एनआईएफएम) से काले धन पर अध्ययन शुरू करवाए थे। सरकार को एनआईपीएफपी, एनसीएईआर और एनआईएफएम की अध्ययन रिपोर्ट क्रमश: 30 दिसंबर, 2013, 18 जुलाई, 2014 तथा 21 अगस्त, 2014 को प्राप्त हुईं।