केंद्र का राज्यों को आदेश, अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्‍याओं की अब इस आधार पर करो पहचान

Edited By Seema Sharma,Updated: 07 Oct, 2018 02:21 PM

rohingyas living illegally in india will be re identified

भारत सरकार ने अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों की पहचान की पुष्टि के लिए अब सभी राज्य सरकारों से, शरणार्थियों की मूल भाषा के आधार पर नए सिरे से आंकड़े जुटाने को कहा है। दरअसल म्यांमार सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार से अनुरोध किया था

नई दिल्लीः भारत सरकार ने अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों की पहचान की पुष्टि के लिए अब सभी राज्य सरकारों से, शरणार्थियों की मूल भाषा के आधार पर नए सिरे से आंकड़े जुटाने को कहा है। दरअसल म्यांमार सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार से अनुरोध किया था कि भाषा के आधार पर भी रोहिंग्या शरणार्थियों की पहचान की जाए। इससे पहले, अक्तूबर 2017 में सिर्फ अंग्रेजी भाषा वाले प्रारूप के आधार पर ही अवैध शरणार्थियों की पहचान की गई थी। भारत में म्यांमार दूतावास ने, अवैध शरणार्थियों की स्थानीय भाषा की जानकारी के आधार पर पहचान सुनिश्चित करने के लिए, दो भाषाओं वाले फार्म का प्रारूप केन्द्र सरकार को मुहैया कराया है। अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों की मौजूदगी वाले राज्यों को गृह मंत्रालय ने गत 20 सितंबर को भेजे द्विभाषी फॉर्म के आधार पर इन शरणार्थियों की पहचान संबंधी सभी आंकड़े (बायोग्राफिक डाटा) जुटाने को कहा है।
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इससे जुड़े प्रपत्र में मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इन शरणार्थियों की म्यांमार वापिसी सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों द्वारा जुटाए गए पहचान संबंधी आंकड़े केन्द्रीय एजेंसियों की ओर से दिए गए आंकड़ों से मेल नहीं खा रहे हैं। इसके मद्देनजर म्यांमार सरकार ने भी इन आंकड़ों के आधार पर वापसी के लिए चिन्हित किए गए शरणार्थियों की पहचान की पुष्टि नहीं होने के कारण उनकी स्थानीय भाषा के आधार पर बायोग्राफिक डाटा जुटाने का अनुरोध किया है जिससे इनकी पहचान सुनिश्चित की जा सके। चार पृष्ठ वाले नए फार्म में शरणार्थियों के मौजूदा निवास स्थान की पूरी जानकारी के अलावा संबद्ध इलाके के प्रभावशाली व्यक्ति का भी उल्लेख करने को कहा गया है। इसके अनुसार, शरणार्थी यदि ग्रामीण क्षेत्र में रह रहा है तो गांव के सरपंच, मुखिया या फिर किसी प्रभावशाली व्यक्ति का नाम भी फार्म में देना होगा। जबकि शहरी क्षेत्र में रह रहे शरणार्थी के फार्म में वार्ड कमिश्नर अथवा पार्षद का नाम देना जरुरी कर दिया गया है।
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साथ ही अवैध रूप से रह रहे शरणार्थी के पास उपलब्ध सभी सरकारी दस्तावेजों की जानकारी भी देनी होगी। फार्म में शरणार्थी के पास मौजूद म्यामां सरकार के दस्तावेकाों के अलावा, म्यांमार में उसकी जाति, भारत में यदि उनके कोई संबंधी हैं तो उसकी जानकारी और शारीरिक बनावट के अलावा उस एजेंट का भी जिक्र करना होगा जिसके माध्यम से वह भारत पहुंचा था। सरकार, अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों के बारे में राज्यों से जुटाए गए बायोग्राफिक आंकड़ों को म्यामां सरकार के साथ साझा करेगी। इसके आधार पर इनकी नागरिकता की पुष्टि की जा सकेगी। एक अनुमान के मुताबिक, भारत में दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों में लगभग 40 हजार रोहिंग्या शरणार्थी अवैध रूप से रह रहे हैं। इन्हें वापस म्यांमार भेजने के उद्देश्य से इनकी पहचान सुनिश्चित करने के लिए यह कवायद पिछले साल शुरू की गई थी। 

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