Edited By Anil dev,Updated: 19 Oct, 2018 11:03 AM
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत की अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए एक कानून बनाए जाने की मांग के बाद तेजतर्रार हिंदू नेता प्रवीण तोगड़िया ने सवाल उठाया कि भाजपा सरकार के पिछले साढ़े चार वर्षों के कार्यकाल में ऐसा कानून...
वडोदरा: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत की अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए एक कानून बनाए जाने की मांग के बाद तेजतर्रार हिंदू नेता प्रवीण तोगड़िया ने सवाल उठाया कि भाजपा सरकार के पिछले साढ़े चार वर्षों के कार्यकाल में ऐसा कानून क्यों नहीं लाया गया। तोगडिय़ा ने आरोप लगाया कि आरएसएस अब यह मुद्दा उठा रही है क्योंकि चुनाव नजदीक है और भाजपा सरकार का प्रदर्शन निराशाजनक है। भागवत ने गुरूवार को नागपुर में अपने सालाना विजयदशमी समारोह में मांग की कि केन्द्र को राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए एक कानून लाना चाहिए।
राम मंदिर कानून के लिए क्यो हुई साढ़े चार सालों तक देरी?
अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद के प्रमुख तोगड़िया ने एक बयान में कहा,‘‘भाजपा के संसद में पूर्ण बहुमत होने के बावजूद राम मंदिर कानून के लिए साढ़े चार सालों तक देरी क्यों हुई?’’ उन्होंने कहा,‘‘केन्द्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के सभी मोर्चो पर विफल रहने और कई राज्यों और 2019 में लोकसभा चुनाव होने के मद्देनजर राम मंदिर का मुद्दा उठाया जा रहा है।’’ भाजपा को ‘‘आरएसएस की पार्टी’’ कहते हुए उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्यों में उसकी सरकारें ‘‘कथित विकास के लगभग सभी वादों पर लडख़ड़ा’’ गई है।
मूल संगठन अब कर रहे हैं भगवान राम को याद
उन्होंने बयान में कहा,‘‘समाज के कई वर्ग उसकी अचानक लाई गई नीतियों के कारण खिन्न हैं और इसलिए पार्टी तथा उसका मूल संगठन भगवान राम को अब याद कर रहे हैं।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि इससे पहले जो भगवान राम मंदिर के लिए कानून लाए जाने का दबाव बना रहे थे, वे अब चुप हैं। तोगडिय़ा ने दावा किया,‘‘अक्टूबर 2017 में हमारे साथ भोपाल में आरएसएस द्वारा बुलाई गई एक विशेष बैठक में, हमें स्पष्ट रूप से संसद में राम मंदिर कानून पर चुप रहने के लिए कहा गया था।’’ उन्होंने कहा,‘‘कानून की मांग के लिए, मुझे और (अन्य) राम (मंदिर) कानून समर्थकों को उसी संगठन द्वारा दंडित किया गया था।’’ उन्होंने मांग की कि केन्द्र को राम मंदिर के लिए तत्काल एक अध्यादेश लाना चाहिए।