शंघाई-सिंगापुर की तरह भारत में भी चलेगी रबड़ के टायर वाली Metro

Edited By Yaspal,Updated: 11 Oct, 2019 09:44 PM

rubber tire metro will run in india like shanghai singapore

आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने मेट्रो रेल के सस्ते विकल्प के रूप में खासकर छोटे शहरों को ध्यान में रखकर स्टील के बजाय रबर के टायरों पर चलने वाली मेट्रो रेल के परिचालन के मानक तय करने के लिये एक समिति का गठन किया है। महाराष्ट्र के नासिक

नई दिल्लीः आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने मेट्रो रेल के सस्ते विकल्प के रूप में खासकर छोटे शहरों को ध्यान में रखकर स्टील के बजाय रबर के टायरों पर चलने वाली मेट्रो रेल के परिचालन के मानक तय करने के लिये एक समिति का गठन किया है। महाराष्ट्र के नासिक शहर से इस परियोजना की शुरुआत संभावित है।

आवास एवं शहरी मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को संवाददाताओं को बताया कि मौजूदा स्वरूप में चल रही मेट्रो रेल के आकार की तुलना में छोटी मेट्रो (मेट्रो लाइट) रेल नीति बनाने के बाद मंत्रालय ने इससे भी किफायती तकनीक पर आधारित टायर पर चलने वाली मेट्रो रेल के परिचालन की पहल की है। उन्होंने इसे मेट्रो रेल और मेट्रो लाइट से भी किफायती बताते हुये कहा, ‘‘हमने टायर पर चलने वाली मेट्रो के मानक तय करने के लिये समिति गठित की है।

समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद टायर पर मेट्रो चलाने की परियोजना की नीति बनाकर इसे राज्यों और जनसाधारण के सुझावों के लिये पेश किया जायेगा।'' उन्होंने कहा कि मौजूदा व्यवस्था में मेट्रो रेल के परिचालन की लागत 300 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर है। वहीं, मेट्रो लाइट की परिचालन लागत 100 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर और टायर पर मेट्रो चलाने की अनुमानित लागत 60 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर होगी। पुरी ने कहा कि पांच गुना किफायती तकनीक पर चलने वाली इस मेट्रो का परिचालन छोटे शहरों के लिये मुफीद होगा।

पुरी ने बताया कि मेट्रो लाइट की नीति को मंत्रालय से मंजूरी मिल चुकी है और दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने भी द्वारका सेक्टर 25 से कीर्तिनगर तक 20 किमी के दायरे में इसके परिचालन को मंजूरी दे दी है। मंत्रालय को अब इसके परिचालन के लिये दिल्ली सरकार से प्रस्ताव मिलने का इंतजार है। उन्होंने कहा कि मेट्रो लाइट के परिचालन की प्रक्रिया का अनुपालन टायर पर चलने वाली मेट्रो के लिये भी किया जायेगा। उल्लेखनीय है कि गत अगस्त में महाराष्ट्र सरकार ने नासिक शहर के लिये सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में मेट्रो को अनिवार्य अंग के रूप में शामिल करते हुये ‘‘नियो मेट्रो'' परियोजना के प्रस्ताव को मंत्रिमंडल की मंजूरी प्रदान की थी।

आवास शहरी मामलों के सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने बताया कि नासिक में सभी रूट पर टायर पर चलने वाली मेट्रो चलाने की योजना है। स्पष्ट है कि इसके लिये नासिक प्रशासन को टायर पर चलने वाली मेट्रो के मानक तय होने तक समिति की रिपोर्ट आने का इंतजार करना होगा।

मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि नियो मेट्रो मूलत: टायर पर चलने वाली मेट्रो परियोजना है। इसमें बस के आकार से थोड़े बड़े कोच लगाये जायेंगे। प्रत्येक रेल गाड़ी में कोच की संख्या दो से पांच तक होगी। इसका परिचालन बिजली और बैटरी से किया जा सकेगा। इसमें बिजली से चलने वाली नियो मेट्रो के लिये बिजली की आपूर्ति रेल गाड़ी के ऊपर (ओवर हेड) या पटरी के बीच में बिजली की केबिल द्वारा की जायेगी।

जानें टायर वाली मेट्रो के बारे में

  • टायर वाली मेट्रो पेरिस, हांगकांग समेत कई देशों में सफलतापूर्वक चल रही है।
  • इसके रफ्तार तकरीबन 60 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। 
  • इसे मेट्रोलाइट के नाम से भी जाना जाता है।
  • टायर वाली मेट्रो के संचालन में 3 गुना कम यानी 100 करोड़ रुपये प्रति किमी की लागत आती है। 

 

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