Edited By rajesh kumar,Updated: 02 Apr, 2024 04:56 PM
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उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली आबकारी नीति संबंधी कथित घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह को मंगलवार को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति पी बी वराले की पीठ ने छह महीने से...
नेशनल डेस्क: उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली आबकारी नीति संबंधी कथित घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह को मंगलवार को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति पी बी वराले की पीठ ने छह महीने से जेल में बंद संजय सिंह को रिहा करने का आदेश दिया। प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि अगर सिंह को मामले में जमानत दी जाती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है।
क्या संजय सिंह को और हिरासत में रखने की आवश्यकता है- SC
सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति पीबी वराले की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी। उच्चतम न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से मंगलवार को पूछा कि क्या उसे दिल्ली आबकारी नीति संबंधी कथित घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह को और अधिक समय तक हिरासत में रखने की आवश्यकता है। पीठ ने साथ ही कहा कि सिंह छह महीने जेल में बिता चुके हैं।
पिछले साल चार अक्टूबर को हुए थे गिरफ्तार
शीर्ष अदालत धनशोधन मामले में सिंह की गिरफ्तारी और हिरासत को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर सुनवाई कर रही है। पीठ ने राजू से कहा कि सिंह के पास से कोई धन बरामद नहीं हुआ है और दो करोड़ रुपये रिश्वत लेने को लेकर उन पर लगे आरोप की जांच मामले की सुनवाई के दौरान की जा सकती है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वह मध्याह्न भोजन के बाद के सत्र में सिंह की गिरफ्तारी और हिरासत के खिलाफ उनकी दलीलों का जवाब देंगे। प्रवर्तन निदेशालय ने सिंह को पिछले साल चार अक्टूबर को गिरफ्तार किया था।
अपराध में उनकी कोई भूमिका नहीं
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा चार अक्टूबर, 2023 को गिरफ्तार किए गए सिंह ने उच्च न्यायालय के समक्ष इस आधार पर जमानत का अनुरोध किया था कि वह तीन महीने से अधिक समय से हिरासत में हैं और इस अपराध में उनकी कोई भूमिका नहीं है। उच्च न्यायालय ने सात फरवरी को सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन निचली अदालत को सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया था। इसके बाद, सिंह ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।