तिहाड़ जेल में बंद 700+ कैदी एड्स, सिफलिस और टीबी से संक्रमित

Edited By Updated: 26 Jul, 2024 01:44 PM

700 prisoners in tihar jail are infected with aids syphilis and tb

दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद करीब 700 कैदियों को एड्स, सिफलिस और टीबी जैसी बीमारियां हैं। इन बीमारियों से महिला कैदी भी संक्रमित पाई गईं हैं। सूत्रों का कहना है कि अधिकतर कैदी इन बीमारियों को बाहर से ही लेकर तिहाड़ जेल आए हैं। लेकिन इस बात से भी...

नेशनल डेस्क. दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद करीब 700 कैदियों को एड्स, सिफलिस और टीबी जैसी बीमारियां हैं। इन बीमारियों से महिला कैदी भी संक्रमित पाई गईं हैं। सूत्रों का कहना है कि अधिकतर कैदी इन बीमारियों को बाहर से ही लेकर तिहाड़ जेल आए हैं। लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि कुछ कैदियों को यह बीमारी तिहाड़ जेल के अंदर भी हुई हो।


इस मामले में तिहाड़ जेल प्रशासन से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी। सूत्रों ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि कैदियों में इन बीमारियों की जांच इस साल मई और जून महीने में की गई थी। जांच एक सरकारी संस्था की मदद से की गई थी। इसमें तिहाड़ की सभी नौ, रोहिणी और मंडोली की छह जेलों में बंद कैदियों की यह जांच की गई। लेकिन अभी तक जो रिपोर्ट सामने आई है। वह केवल तिहाड़ जेल की आई है, जहां 10 हजार 573 कैदियों में इन बीमारियों की जांच की गई थी। यहां बंद करीब तीन हजार कैदियों ने इस जांच को कराने से इनकार कर दिया था। लेकिन अधिकतर कैदियों ने जांच कराई। सूत्रों ने बताया कि अभी तक जो जांच रिपोर्ट आई हैं। उसके हिसाब से तिहाड़ जेल कैंपस में बनी नौ जेलों में करीब 700 कैदी एड्स, सिफलिस और टीबी जैसी बीमारी से संक्रमित पाए गए हैं। इनमें से करीब 125 कैदी एचआईवी पॉजिटिव पाए गए। 215 से अधिक कैदियों में सिफलिस जैसी बीमारी के लक्षण पाए गए हैं। यह बीमारी भी आमतौर पर एक-दूसरे से सुरक्षित उपाए लिए बिना यौन संबंध बनाने पर होती है। 


जांच में करीब 350 कैदी ऐसे पाए गए हैं, जिन्हें टीबी की बीमारी मिली है। सूत्रों का कहना है कि इन बीमारियों की जांच मेल और फीमेल दोनों तरह के कैदियों में की गई। इनमें से महिला कैदियों की अपेक्षा पुरुष कैदियों में ये बीमारियां अधिक पाई गई हैं। अभी कुछ टेस्ट होने और बाकी हैं। इसके बाद मामले में और स्थिति साफ हो पाएगी। 


फिलहाल इन कैदियों को प्रोटोकॉल के तहत अन्य स्वस्थ कैदियों से अलग नहीं किया जा रहा है। लेकिन, सावधानी बरतते हुए कुछ अधिक बीमार कैदियों को अन्य स्वस्थ कैदियों से अलग-अलग बैरक में रखा जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि कैदियों की लगातार काउंसलिंग की जा रही है। उनसे इन बीमारियों के गंभीर खतरों के बारे में भी बताया जा रहा है। 


जेल प्रशासन इस बात को सुनिश्चित कर रहा है कि जेल के अंदर किसी भी सूरत में कोई कैदी एक-दूसरे से शारीरिक संबंध न बना सके। इस बीमारी से क्या कोई बड़े नाम वाला कैदी भी संक्रमित पाया गया है। इस सवाल के जवाब में सूत्रों का कहना है कि इस तरह के टेस्ट में कभी भी किसी कैदी का नाम नहीं लिखा जाता। उनके रजिस्ट्रेशन नंबर के हिसाब से ही यह टेस्ट किए जाते हैं। पिछले दिनों तिहाड़ की महिला कैदियों में सर्वाइकल कैंसर की भी जांच कराई गई। प्राथमिक जांच रिपोर्ट में करीब 50 महिला कैदियों में इसके लक्षण मिले हैं। लेकिन अभी एक-दो टेस्ट होने और बाकी हैं। जिनसे यह कन्फर्म हो सकेगा कि असल में कितनी महिला कैदियों को सर्वाइकल कैंसर है।

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